स्वस्ति श्री रवीन्द्रकीर्ति पीठाधीश स्वामी जी जयवंत हों
हमारे अत्यन्त प्रिय एवं श्रद्धेय क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी महाराज के स्वर्गवास से हमें बहुत ही दु:ख लगा। परन्तु वे अपने अन्तिम समय में मुनि अवस्था प्राप्त करके परलोक सिधारे उससे हमें संतोष भी है। उन्होंने हस्तिनापुर के पीठाधीश पद पर रह करके जिन शासन की महती प्रभावना की।
उन्होंने दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान से हजारों नहीं लाखों लोगों को जोड़ा है और उन्हें धर्म लाभ दिया है। पूज्य श्री ज्ञानमती माताजी भलीभांति जानती हैं कि लोग गृहस्थ अवस्था में रहकर और विशेषकर व्यापारी लोग धर्म के कार्यों में सहयोग तो दे सकते हैं परन्तु पूरा उन पर निर्भर रहना सही नहीं है। आज भारत वर्ष में अनेक संस्थाएँ हैं, जो व्यापारी, शिक्षक या अन्य श्रावक चलाते हैं परन्तु हमने देखा है कि वे लोग उन संस्थाओं के प्रति न्याय नहीं कर सकते क्योंकि उनका ध्यान बंटा हुआ रहता है।
एक ही कार्य करें और उसको पूरी दक्षता के साथ करें तो वह कार्य ज्यादा सफल होता है। पूजय माताजी ने हस्तिनापुर में पीठाधीश की गद्दी इसी भावना के साथ स्थापित की और वे बहुत ही सफल रही है। पीठाधीश की गद्दी परिस्थापित होने के बाद पूज्य क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी महाराज ने अपना ऐतिहासिक योगदान दिया है। उन्होंने आर्ष परम्परा की रक्षा में पूज्य माताजी के मार्गदर्शन में जो योगदान दिया है, वह चिर-स्मरणीय रहेगा।
पीठाधीश क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी महाराज के देहावसान के बाद पूज्य माताजी और दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान के पदाधिकारियों सबने मिलकर के ब्र. रवीन्द्र जैन को पीठाधीश पद पर बैठाया। वह कार्य भी बहुत ही प्रशंसा के लायक है। शुरू से ही ब्र. मोतीचंद और ब्र. रवीन्द्र जी की जोड़ी रही है।
ब्र. रवीन्द्र जी को शुरू से ही त्रिलोक शोध संस्थान एवं समाज के सब कार्यों की जानकारी रही है और उन्होंने काफी जिन शासन की प्रभावना बढ़ाने में अनेक महान् कार्य किये हैं। वे सरल स्वभावी, शांत चित्त वाले और उत्साही व्यक्ति पूज्य माताजी द्वारा बताये गये कार्यों को करने में हमेशा तत्पर रहते हैं। ऐसे योग्य, अनुभवी, उत्साही, कर्मठ ब्र.रवीन्द्र जी को पीठाधीश के पद पर बैठाकर माताजी ने हमारे दिगम्बर जैन समाज पर बहुत उपकार किया है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए थोड़ी है।
पूज्य माताजी के द्वारा बनाए गए पीठाधीश स्वस्ति श्री रवीन्द्रकीर्ति जी स्वामी के द्वारा आर्ष परम्परा की रक्षा होगी और जिन शासन की महती प्रभावना होगी, ऐसी हमें पूर्ण आशा है। मैं महासभा की सभी संस्थाओं-धर्म संरक्षिणी, तीर्थ संरक्षिणी, श्रुत संर्विधनी एवं महिला महासभा तथा जैन राजनैतिक चेतना मंच की तरफ से उनको साधुवाद देता हूँ।
हमेशा उन्हें हमारे पदाधिकारी, कार्यकर्ता एवं सदस्य सहयोग देंगे, ऐसी भावना प्रकट करता हूँ और समस्त दिगम्बर जैन समाज से भी मेरा निवेदन है कि पूज्य पीठाधीश जहाँ भी जायें, उन्हें सम्मान प्रदान करें और उनका मार्गदर्शन प्राप्त करें और जिन शासन की प्रभावना बढ़ायें।