गर्मी का मौसम आते ही टोस्ट में शेष वस्तुओं की बहार आ जाती है। छोटी-छोटी बातें, छोटी-छोटी हवा, छोटी-छोटी कुल्फी, आइसक्रीम आदि तो बच्चों के ही क्या, बड़ों के लिए भी उपहारस्वरूप है। वस्तु कोई भी बुरी नहीं है लेकिन उसे बनाने का तरीका जानना आज आपके लिए अनावश्यक हो गया है।
भगवान महावीर और राम जैसे पवन पुरुषों के जन्म से पवित्र इस भारत देश में भी आज अन्हुसक देश—प्रेमियों के साथ विश्वासघात किया जा रहा है। जहां सौंदर्य प्रसाधनों के विपणन में काफी दिनों से हिंसक वस्तुओं के मिश्रण की बातें विभिन्न एजेंसियों द्वारा ज्ञात हो रही थीं, वहीं अब खाने की विभिन्न वस्तुओं में तेजी से हिंसक मिश्रण होने लगा है।
वास्तव में अब आप अपने ही बारे में विचार कर रहे हैं। एक बार आपने शुद्ध वनस्पति घी में मीठी बातें सुनी थी। तब से पचास प्रतिशत शाकाहारियों ने उस घी के स्थान पर शुद्ध परिष्कृत तेल को अपनी रसोई में स्थान दिया। बाजार के कूड़े-पिसे में संतोषजनक मिलावट की बात जानकारी में आई, तब से अधिकांश घरों में मिक्सी का उपयोग होने लगा ताकि शुद्ध ताजा मसाला रसोई में उपयोग किया जा सके।
आज तो मानव ही मानव का भक्षक हो रहा है। वह अपनी धनपिपासुता में लिप्त होकर मानव धर्म को भी लूटने में नहीं मोटाता है। एक बार लखनऊ में एक बड़ी घटना के व्यापारी की बात सामने आई कि लखनऊ की जो हरी छोटी सौंफ आप बड़े शौक से मिली हुई हो रही है।
उस सौंफ को हरे डिस्टेम्पर रंग में रंग करधल्ले से थोक एवं फुटकर भाव में बेच रहे हैं हमारे मित्रगण। अब आप स्वयं सोचें कि वह हरी छोटी सौंफ आपको कितना लाभ पहुंचाएगी? यह स्वाभाविक है कि उस सौंफ के उपयोग से पेट एवं गले के अनेक रोग उत्पन्न होंगे और रंग की जांच से आपको शुद्ध वस्तु भी नहीं मिलेगी, मूल धर्म नष्ट होता है।
कुछ समय पहले पूर्व श्रीमती मेनका गांधी ने चांदी के कार्य के विषय में कुछ खोजपूर्ण तथ्य समाज की विशेषताएं प्रस्तुत की थीं। उनके शाकाहारी समाज ने काम का खाना एवं घरों में लाना तक बंद कर दिया था। इसी प्रकार मेनका गाँधी ने एक तथ्य ”आइस्क्रीम” के बारे में भी प्रस्तुत किया। इस तथ्य को स्वीकार कर आप भी इस सकारात्मकता का त्याग करना और शाकाहारी, शुद्ध, सदाचारमयी जीवन का निर्माण करना।
आइसक्रीम का वह तथ्य मेरी भावना हुई कि इसका अधिक से अधिक प्रचार जैन समाज में होना चाहिए ताकि अहिंसक जैन समाज इस पत्रिका से सतर्क रहे और यदि संभव हो तो ऐसी सकारात्मक वस्तु बनाने एवं विक्रेताओं के प्रति कुछ ठोस कदम भी उठाए ताकि कम से कम खाद्य पदार्थों में मिश्रण करने वालों में कुछ अहंभावपूर्ण भावनाएं उत्पन्न होंगी और आपको शुद्ध वस्तुएं प्राप्त होंगी।
श्रीमती मेनका गांधी ने इस तथ्य को इस प्रकार उजागर किया है—
पिछले दिनों मैं अपने बेटे के स्कूल गई थी। वहाँ स्कूल के वैंटिन को भी देखा गया। वैंटीन में चिप्स, पिस्ता और आइसक्रीम का ढेर लगा था। छात्र कुछ चीजें खरीदकर खा रहे थे, खूब बिक्री हो रही थी। मैंने तय किया है कि स्कूल के प्रयासों से मैं वैलेंटाइन में खाने और नाश्ते की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए कहूँगी लेकिन इस बीच मैं सभी माता-पिता को आइसक्रीम के बारे में बताना चाहती हूँ क्योंकि आइसक्रीम वह प्यारा इनाम है जो सभी बच्चों को उनके अच्छे आचरण के लिए प्रेरित करता है। के बदले में दिया जाता है।
परीक्षा में चिंतित होने पर या सैर-सपाटे में भी आइसक्रीम का तोहफा उसके माता-पिता से सहज ही पा लेते हैं। आइसक्रीम के बारे में जोर देकर कहा जाता है कि यह अकेला ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसमें पोर्टेबल सामग्री के तौर पर हवा रहती है। आपके पैसे का आधा हिस्सा इस हवा की खरीदारी में जाता है। इसमें और क्या होता है ? तीस प्रतिशत बिना पानी और बिना छना पानी होता है। छह प्रतिशत चर्बी और सात से आठ प्रतिशत शक्कर होती है, लेकिन इन सभी गिफ्ट को पेय से स्वादिष्ट आइसक्रीम वैसे तैयार होती है?
यदि विशेष तौर पर लिखा नहीं गया हो तो यह शाकाहारी नहीं होता, सबसे पहले चर्बी को सख्त करके रबड़ की तरह पक्षपातपूर्ण बनाया जाता है ताकि जब हवा भरी जाए तो वह उसमें सदैव सके। ठंडे कमरे में यह प्रक्रिया चलती है। चर्बी की ताजा परत फेनिल बर्फ लगातार प्रतिक्रिया करके दूसरे ठंडे कमरे में ले जाया जाता है। इनमें अलग-अलग आकार के पैकेटों में भरा जाता है। इस प्रक्रिया में कुछ मूर्त फल भी गिरती है। अच्छी मात्रा में जमा हो जाने पर उन्हें एकत्रित किया जाता है। फिर फाइल पर मजदूर के जूते और बाहर पड़े रहने से उन्हें आई बदबू को छिपाने के लिए उनसे चकलेट (या कोई अन्य तेज गंध व स्वाद) वाली आइसक्रीम तैयार की जाती है। चर्बी के इस मिश्रण को आइसक्रीम के रूप में बनाने के लिए इसमें बहुत कुछ मोड़ जाता है। बहुत कुछ में एक खास बात का गोंद भी होता है। यह गोंड पशु के अखाद्य अंगों (नाक, पूंछ, थन आदि) को उगाने वाला बनाया जाता है। चर्बी से मिलने पर यह गोंद आइसक्रीम को स्वादिष्ट, चिपचिपा और धीरे-धीरे पकने वाली बनाती है। जीभ और तालू के बीच आइसक्रीम इसी गोंद के कारण मजा देता है।
आप क्या खाना चाहते हैं? पहले इसे शहद और फलों के रस में तैयार किया जाता था। बाद में दूध, अण्डा और शक्कर मिलाया गया। इस मांसाहारी मिश्रण को भी लोगों ने अब छोड़ दिया है, अब वे जहर का घोल तैयार करते हैं।
१. डिजाइल ग्लूकोज को अंडे के बदले में डाला जाता है। इस रसायन का उपयोग ठंड और दर्दनिवारक दवाओं में होता है।
२. वेनिला की जगह पेपरोनल डाला जाता है। यह ढील मारने के काम में भी आता है।
३. एल्हेहाइड सी १७ से चेरी आइसक्रीम का स्वाद लाया जाता है। चमड़े और धागों की सफाई में भी इसका इस्तेमाल होता है। यह वाल्व से फेफड़े, गुर्दे और दिल की बीमारी होती है।
४. बुद्रादिहाइड बादाम-पिस्ता आइसक्रीम में स्वाद लाया जाता है। रबर सीमेंट बनाने का काम भी यह आता है।
५. एमिल एसिटेट डालने से केले का स्वाद मिलता है। ऑयल पेंट के घोल के तौर पर इसका दूसरा उपयोग भी है।
६. बेंज़िल एसिटेट से स्ट्राबरी का स्वाद मिलता है। यह नाइट्रेट घिसा हुआ है।
इस तरह आप अपने प्यारे-दुलारे बच्चों को तोहफे के रूप में पानी, आयल पेंट, नाइट्रेट का घोल, ढील मारने की दवा और हवा खिलाते हैं।
या तो शर्बत पीजिए और पिलाइए या फिर बिना अंडे डाले दूध की आइसक्रीम बनाइए या फिर आइसक्रीम मत खाइए। कृपया इस पर अच्छी तरह से ध्यान दें और इस विषय को हर उस स्कूल में भेजें जहाँ वैंण्टीन में या स्कूल के बाहर आइसक्रीम बेचने की अनुशंसा की जाती है। खासकर अगर आप शाकाहारी हैं तो यह काम जरूर कीजिए।
इस प्रकार से सबसे पहले आप स्वयं अपने बच्चों को उपहार की जानकारी देते हैं और उन्हें उसे त्यागने की प्रेरणा देते हैं।
र : श