ब्र. रवीन्द्र कुमार जी की कर्मठता एवं कार्यकुशलता से आज सारा समाज भलीभांति परिचित है। समाज में अनेक कार्यों को करने का अवसर हमें भी प्राप्त होता है और किसी कार्य को सम्पन्न करने के लिए कितनी शक्ति का उपयोग करना होता है, यह हम बखूबी जानते हैं। पुन: यदि भाई जी के कार्यकलाप पर जब दृष्टिपात करते हैं, तो आश्चर्य भी होता है और अत्यन्त खुशी भी होती है कि आज हमारी समाज में भाई जी जैसा अत्यन्त निस्पृही एवं नि:स्वार्थ सेवा करने वाला व्यक्तित्व जैन समाज को प्राप्त है।
पूज्य माताजी की प्रेरणाओं पर सारे देश में जितने भी कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं, उनकी सफलता में यदि किसी एक व्यक्ति का नाम लिया जाये, तो वह रवीन्द्र कुमार जी का ही आता है। उनकी कार्यशक्ति वास्तव में अद्भुत है। एक कार्य को पूर्ण करने के उपरांत पुन: दूसरे कार्य की योजना में लग जाना और उसे पूर्ण करते ही पुन: अगले कार्य की योजना में लग जाना, यही उनके जीवन का क्रम है, जिसके कारण आज भारत वर्ष की जैन समाज में अनेकानेक राष्ट्रीय – अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आयोजन,तीर्थों के निर्माण, साहित्य प्रकाशन, अद्भुत धर्मप्रभावना आदि के कार्य सम्पन्न हुए हैं।
मुझे बहुत प्रसन्नता हुई कि जब पता लगा कि अब भाई जी को स्वामी जी बना दिया गया है। पूज्य माताजी का यह चिंतन समाज, धर्म एवं संस्कृति के लिए अत्यन्त हितकारी है। पूज्य स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी के लिए अब नये स्वरूप में उनका जीवन उनके स्वयं के लिए, माताजी के संघ के लिए तथा जैनधर्म व समाज के लिए अत्यन्त मंगलकारी होवे, यही मेरी शुभकामना है।
अंत में स्वामी जी के चरणों में वंदना करते हुए मैं उनके पीठाधीश पदारोहण के अवसर पर दिगम्बर जैन महासमिति की ओर से उन्हें बहुत-बहुत बधाई प्रेषित करता हूँ। स्वामी रवीन्द्रकीर्ति जी के पीठाधीश मनोनयन के उपरांत उनके जीवन वृत्त पर आधारित सम्यग्ज्ञान मासिक पत्रिका का विशेषांक प्रकाशित किया जा रहा है अत: इस प्रकाशन हेतु भी मेरी शुभकामनाएं हैं एवं आशा है कि यह विशेषांक पाठकों को तथा समाज के भक्तों को नई दिशा प्रदान करेगा। पूज्य गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी ससंघ के चरणों में मेरा बारम्बार वंदामि।