जम्बूद्वीप को आज कौन नहीं जानता। परमपूज्यनीय आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी की पावन प्रेरणा से निर्मित जम्बूद्वीप केवल हस्तिनापुर की शान नहीं है, बल्कि पूरे देश में इसे महान् सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहर के रूप में जाना जाता है। हस्तिनापुर जैन धर्मावलम्बियों का सर्वोच्च तीर्थ क्षेत्र है।
अजैनों के बीच यह प्रचारित करने में जम्बूद्वीप का उल्लेखनीय योगदान है, यह कहना अतिशयोक्ति न होगी। जम्बूद्वीप ने जो आयाम स्थापित किये हैं नि:सदेह यह परमपूज्यनीय श्री ज्ञानमती माताजी की पावन प्रेरणा और आशीर्वाद से प्राप्त किये हैं लेकिन इसकी असाधारण और चमत्कारिक सफलता के पीछे अगर पीठाधीश श्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी का उल्लेख न किया गया, तो शायद यह उचित न होगा ।
मैं माताजी और जम्बूद्वीप से काफी सालों से जुड़ा हुआ हू। मेरठ में श्री प्रेमचंद जैन (तेल वालों) ने कमलानगर (मेरठ) में मंदिर निर्मित किया था और माताजी के पावन सान्निध्य में उसका पंचकल्याणक सम्पन्न हुआ था। मैं पंचकल्याणक का चेयरमैन था। माताजी के सान्निध्य में भगवान ऋषभदेव निर्वाणमहोत्सव समिति का गठन हुआ था, उसका मैं महामंत्री था। इन सभी कार्यों में बाल ब्रह्मचारी श्री रवीन्द्र जी का मुझसे संपर्क रहा था। मैंने तभी उनकी अद्भुत प्रतिभाओं को नजदीक से देखा।
रवीन्द्र जी में कार्य करने की क्षमता भी है और जैनधर्म के उत्थान के प्रति ललक भी है। जम्बूद्वीप के निर्देशन में हस्तिनापुर के अतिरिक्त अन्य कई स्थानों पर मंदिर, धर्मशालाएँ निर्मित हुई हैं। अयोध्या, मांगीतुंगी, प्रयाग आदि ७-८ स्थानों पर आज स्वामी जी के निर्देशन में अविस्मरणीय कार्य हुए हैं और चल रहे हैं।
जैन संस्कारों को आगे बढ़ाना जैन धर्म की सम्पदा को हमेशा-हमेशा के लिए सुरक्षित करना यह सब इतना कठिन कार्य है, जिसे स्वामी जी बड़ी कुशलता के साथ कर रहे हैं।
परमपूज्य पीठाधीश श्री मोतीसागर जी महाराज की समाधि के पश्चात् परमपूज्य श्री ज्ञानमती माताजी ने जैनधर्म की इस विशाल सम्पदा को नियंत्रित करने के लिए नूतन पीठाधीश के रूप में स्वस्तिश्री कर्मयोगी रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी को मनोनीत किया। भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में हस्तिनापुर में मेरे द्वारा दो बड़े कार्यक्रम हुए।
मार्च २०१० में भारतीय जैन मिलन का केन्द्रीय अधिवेशन माताजी के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ । ६ नवम्बर २०११ को मांस निर्यात को बंद कराने के लिए अहिंसा महारैली का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया । उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री राजनाथ सिंह जी को हेलीकॉप्टर द्वारा अहिंसा महारैली में पहुँचना था। रातों-रात जम्बूद्वीप में हैलीपैड निर्मित किया गया।
अन्य वी.आई.पी. व्यवस्था की गई। यह सब स्वामी जी के सहज परिणामों का फल था। मैंने कई अवसरों पर देखा है कि स्वामी जी असहज नहीं होते। बड़ी से बड़ी कठिनाई आने पर भी वे सुगुणता और स्वाभाविक रूप से उस कठिनाई को नियंत्रित कर लेते हैं। मुझे इसमें कतई शक नहीं है कि स्वामी जी के कुशल निर्देशन में जम्बूद्वीप तथा उससे जुड़ी सभी जैन संस्थाओं का विकास होगा विस्तार होगा।
उनका ब्रह्मचारी से स्वामी बनना एक सुखद संकेत है उनके निर्देशन में इसकी सुगंध से हमारा धर्म और ज्यादा महकेगा। ब्रह्मचारी से स्वामी जी तक की प्रेरणादायक यात्रा अब रुकने वाली नहीं है। इसके अच्छे और सुनहरे परिणाम होंगे यह मैं दावे से कह सकता हूँ। स्वामी जी के चरणों में नमन-वंदन।