आकर्षक युवा व्यक्तित्व, असीम ऊर्जा, दूरदृष्टि, धर्म और समाज के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना के स्वामी कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्र कुमार जी अब बन गये हैं स्वस्ति श्री कर्मयोगी पीठाधीश श्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी। सन् १९८० में मेरी प्रथम मुलाकात भाई जी से हुई थी और मैं तभी से उनके व्यक्तित्व की सरलता, समर्पण और कर्मठता का कायल हूँ।
कितनी भी समस्या हो, कितना भी बड़ा आयोजन हो, वे सदैव मुकुराते रहते हैं और शांत स्वभाव से बड़ी-बड़ी योजनाओं को कार्यरूप में परिणत कर देते हैं। मुझे यह देखकर बहुत सुखद आश्चर्य होता है कि उनके कई कर्मचारी यह कहते हैं कि ‘मैं यह काम कतई नहीं करता हूँ, चूँकि आप कह रहे हैं इसलिए जरूर करूँगा’ और यही उनकी कार्यशैली का वैशिष्ट्य है।
एक बड़ी टीम में जिसमें श्रेष्ठी हैं, दानवीर हैं, प्रमुख चिंतक हैं, सामाजिक कार्यकर्ता हैं, आवास, भोजन, पांडाल, मंच व्यवस्था, मुद्रण व्यवस्था, कम्प्यूटर, लेखा तथा भवन निर्माण की विविध विद्याओं के विशेषज्ञ हैं। यही बात है कि उन्होंने दिल्ली, प्रयाग, कुण्डलपुर, अयोध्या, काकंदी, माधोराजपुरा, मांगीतुंगी, शिर्डी, दिल्ली आदि हस्तिनापुर के बाहर के सुदूरवर्ती स्थानों पर भी ऐसे विशाल आयोजन करा दिये, जिनको देखकर उन स्थान के निवासियों और कार्यकर्ताओं ने भी दाँतों तले अंगुली दबा ली और कहा कि ‘‘हम तो इतने व्यवस्थित और कुशल निर्माण की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।’’
भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर में नंद्यावर्त महल परिसर का मात्र २२ महीने में विकास कर तथा भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी और माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के दिल्ली में तथा भारत की राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटील को हस्तिनापुर की पुण्य भूमि में आमंत्रित कर आपने सम्पूर्ण जैन समाज को गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान किया। इनको देखकर कोई सहज ही उन्हें ‘बेस्ट इवेन्ट मैनेजर’ का अवार्ड दे सकता है। लेकिन इससे भी अधिक आज उन्हें अन्य अनेकों उपाधियों सहित ‘कर्मयोगी’ की उपाधि से विभूषित किया गया, जो सामयिक ही है।
आप एक साथ अनेकों संस्थाओं को अध्यक्ष के रूप में मार्गदर्शन दे रहे हैं। दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर (मेरठ) उ.प्र., तीर्थंकर जन्मभूमि विकास कमेटी, तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ, अ.भा.दि. जैन युवा परिषद, भगवान ऋषभदेव १०८ फुट उत्तुंग विशाल प्रतिमा निर्माण कमेटी-मांगीतुंगी तथा अयोध्या दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, उनमें से प्रमुख हैं।
पूज्य गणिनी ज्ञानमती माताजी ने उनके ज्ञान, कर्मठता और धर्म एवं तीर्थ के प्रति सही मूल्याकंन करते हुए जम्बूद्वीप धर्मपीठ का पीठाधीश मनोनीत कर एक सामयिक और उपयोगी कार्य किया है। स्वस्तिश्री कर्मयोगी पीठाधीश श्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी को वंदन करते हुए हम यही कामना करते हैं कि उनके नेतृत्व में जम्बूद्वीप की धर्मपीठ अपनी सभी शाखा केन्द्रों के साथ पुष्पित और पल्लवित होते हुए सम्पूर्ण विश्व में दिगम्बरत्व की पताका फहराए। पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी के श्रीचरणों में त्रिबार वंदना।