गमन करते हुए जीव और पुद्गल को जो गति क्रिया में सहकारी है, वह धर्म द्रव्य है। जैसे जल मछलियों को गमन में सहकारी है किन्तु वह नहीं चलते हुए को नहीं ले जाता है अर्थात् जैसे जल प्रेरक नहीं है वैसे यह द्रव्य प्रेरक नहीं है।
यह धर्मद्रव्य धर्म नाम का जीव का स्वभाव नहीं है प्रत्युत यह एक स्वतंत्र द्रव्य है।