Alwayas make Successful efforts and not Unsuccessful One.
यदि जीवन में सफल होना है, सदा ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए। ‘‘चलेगा’’ जैसा घातक शब्द सफलता की राह में रोड़ा है। एक इंजीनियर कभी सफल इंजीनियर नहीं हो सकता, यदि वह सड़क निर्माण में ‘‘चलेगा’’ करके मिलावट कर दे। कम से कम तैयारी करके पास हुआ जा सकता है, किन्तु प्रथम स्थान पाने के लिये अधिक से अधिक तैयारी ही सफल प्रयास है । सफल प्रयास कला में, विज्ञान में, धर्म और जीवन में विजय दिलाने वाला मंत्र है। पूजा में हम अखंड चढ़ाते हैं। सौ अच्छे दानों के साथ एक टूटा हुआ तो चलेगा— जो ऐसा माने वो सच्चा पुजारी नहीं है।
स्वयं की प्रशंसा न करें
Avoid Self Praise
महाभारत में एक प्रसंग है— एक बार अर्जुन युधिष्ठर को क्रोधावेश में भला बुरा कह देते हैं किन्तु थोड़ी देर में वे अत्यंत दु:खी होकर अपनी तलवार निकालकर स्वयं को मारना चाहते हैं यह देख कृष्ण उनसे पूछते हैं— तुम यह कृत्य क्यों करना चाहते हो? अर्जुन ने कहा कि जिस भाई को मैं पिता तुल्य मानता रहा हूँ अपना गुरु मानता रहा हूँ, उनके साथ मैंने जो किया अच्छा नहीं किया अत: मैं अपना सिर काटना चाहता हूँ । कृष्ण कहते हैं— इसके लिए तलवार की जरुरत नहीं। तुम अपनी आत्म प्रशंसा स्वयं करना शुरु कर दो, जो व्यक्ति अपनी प्रशंसा स्वयं करता है, वह भी मरे के बराबर ही होता है। आत्म प्रशंसा की चाहत में व्यक्ति सबसे पहले अपने गुणों की आहूति देता है। अपनी प्रशंसा की चाह उसे हर कार्य करने को मजबूर करती है। स्वयं की प्रशंसा से व्यक्ति में अभिमान का भाव ही आता है। जो घुन की तरह स्वयं उसके व्यक्तित्व को खत्म करता है।