ॐ जय जिनराज प्रभो! स्वामी जय जिनराज प्रभो।
धर्मतीर्थ के कर्ता, जय तीर्थेश विभो।। ॐ जय……..।।१।।
सोलह कारण भाके, प्रभु तीर्थेश हुये। स्वामी…।
पंचकल्याणक पाके, सुरपति वंद्य हुये।। ॐ जय……..।।२।।
चौंतिस अतिशयमंडित, अनवधि गुण भर्ता। स्वामी..।
प्रातिहार्य गुण भूषित, त्रिभुवन हित कर्ता।। ॐ जय……..।।३।।
श्री जिनवर गुण संपत्, त्रेसठ विध गाये। स्वामी…।
जो जिनवर गुण वंदे, निज संपति पाये।। ॐ जय……..।।४।।
परम अनंत चतुष्टय, अभ्यंतर लक्ष्मी। स्वामी…..।
सम्यग्ज्ञानमती से, पाऊँ शिव लक्ष्मी।। ॐ जय……..।।५।।