अथ स्थापना (नरेन्द्र छंद)
तेरहद्वीप के गजदंतादिक, नग पर देवभवन हैं।
सर्वभवन में शाश्वत जिनगृह, रत्नमयी उत्तम हैं।।
प्रति जिनगृह में जिनप्रतिमाएँ, इक सौ आठ प्रमित हैं।
उन सब जिनगृह जिनप्रतिमा को, पूजत पाप नशत हैं।।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंंबंधि-हिमवन्पर्वतादि देवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमासमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंंबंधि-हिमवन्पर्वतादि देवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमासमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंंबंधि-हिमवन्पर्वतादि देवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमासमूह! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधीकरणं।
-अथ अष्टक-
पद्मसरोवर को उज्ज्वल जल, सुवरण भृंग भराऊँ।
भक्तिभाव से जिनचैत्यालय, पूजत पाप नशाऊँ।।
तेरहद्वीप के देवभवन में, जिनचैत्यालय सोहें।
उनको पूजॅूँ भक्ती से, वे कर्म कालिमा धोवें।।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
जलं निर्वपामीति स्वाहा।
काश्मीरी केशर घिस चंदन, दाह निवारण काजे।
शाश्वत जिनगृह पूजन करते, रोग शोक डर भाजे।।
तेरहद्वीप के देवभवन में, जिनचैत्यालय सोहें।
उनको पूजॅूँ भक्ती से, वे कर्म कालिमा धोवें।।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
चंदनं निर्वपामीति स्वाहा।
देवजीर सुखकार अखंडित, अक्षत धोकर लाया।
ज्ञान अखंड करने के हेतू, बहुविध पुंज रचाया।।
तेरहद्वीप के देवभवन में, जिनचैत्यालय सोहें।
उनको पूजॅूँ भक्ती से, वे कर्म कालिमा धोवें।।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा।
सुरभित सम सुरभित फूलों से, जिनगृह पूजों भाई।
आनंद कंद चिदानंद अनुपम, सुख पावो अधिकाई।।
तेरहद्वीप के देवभवन में, जिनचैत्यालय सोहें।
उनको पूजॅूँ भक्ती से, वे कर्म कालिमा धोवें।।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।
कुंडलनी बरफी रसगुल्ला, दालमोट भर थाली।
शाश्वत जिनगृह पूजन करते, क्षुधा रोग दुख टाली।।
तेरहद्वीप के देवभवन में, जिनचैत्यालय सोहें।
उनको पूजॅूँ भक्ती से, वे कर्म कालिमा धोवें।।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
जगमग जगमग दीपशिखा यह, पापतिमिर हरणारी।
जिनगृह की नित करूँ आरती, भव आरत परिहारी।।
तेरहद्वीप के देवभवन में, जिनचैत्यालय सोहें।
उनको पूजॅूँ भक्ती से, वे कर्म कालिमा धोवें।।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
धूप सुगंधित खेय अग्नि में, महक उठी चहुंदिश में।
आतम गुण की सौरभ फैले, पूजत ही दश दिश में।।
तेरहद्वीप के देवभवन में, जिनचैत्यालय सोहें।
उनको पूजॅूँ भक्ती से, वे कर्म कालिमा धोवें।।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
धूपं निर्वपामीति स्वाहा।
एला केला अनंनास औ, श्रीफल सरस मंगाए।
मोक्ष महाफल पावन हेतू, जिनपद निकट चढ़ाए।।
तेरहद्वीप के देवभवन में, जिनचैत्यालय सोहें।
उनको पूजॅूँ भक्ती से, वे कर्म कालिमा धोवें।।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
फलं निर्वपामीति स्वाहा।
जल-चंदन-अक्षत-माला-चरु, दीप-धूप-फल लाके।
अर्घ्य चढ़ाऊँ वाद्य बजाऊँ, पुनि वंदूँ शिर नाऊँ।।
तेरहद्वीप के देवभवन में, जिनचैत्यालय सोहें।
उनको पूजॅूँ भक्ती से, वे कर्म कालिमा धोवें।।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
-सोरठा-
गंगानदि को नीर, जिनपद में धारा करूँ।
शीघ्र हरो भवपीर, सर्व अशांती परिहरूँ।।
शांतये शांतिधारा।
हरसिंगार प्रसून, पुष्पांजलि से पूजते।
आधि व्याधि दु:ख शून्य, हो जाते क्षणमात्र में।।
दिव्य पुष्पांजलि:।
(कुल 1024 अर्घ्य)
जंबूद्वीप के देवभवन के 174 अर्घ्य
दोहा- नित्य निरंजन सिद्ध की, जिनप्रतिमा मनहार।
उनकी पूजन हेतु मैं, पुष्प चढ़ाऊँ सार।।१।।
अथ जम्बूद्वीपसंंबंधि-देवभवनस्थितजिनप्रतिमापूजा प्रतिज्ञापनाय पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
जंबूद्वीपभरतक्षेत्र विजयार्धपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य दक्षिणार्धभरतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य नृत्यमालदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य पूर्णभद्रदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य विजयार्धकुमार-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य मणिभद्रदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य कृतमालदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य उत्तरार्धभरतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य वैश्रवणदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
जंबूद्वीप हिमवान पर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य हिमवानदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य भरतदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालय-जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य इलादेवीभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य गंगादेवीभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य श्रीदेवीभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य रोहितास्यादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य सिंधुदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य सुरादेवीभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य हैमवतकदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य वैश्रवणदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१८।।
जंबूद्वीप महाहिमवानपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य महाहिमवानदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हैमवतकदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य रोहितादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य ह्रीदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हरिकांतादेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हरिवर्षदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य वैडूर्यदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२५।।
जंबूद्वीप-निषधपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य निषधदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य हरिवर्षदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य पूर्वविदेहदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य हरित्देवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य धृतिदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य सीतोदादेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य अपरविदेहदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य रुचकदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३३।।
जंबूद्वीप-नीलपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य नीलदेवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य पूर्वविदेहदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य सीतादेवीभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य कीर्तिदेवीभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य नरकांतादेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य अपरविदेहदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य रम्यव्देवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य अपदर्शनदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४१।।
जंबूद्वीप-रुक्मीपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रुक्मिदेवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रम्यक्देवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य नारीदेवीभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य बुद्धिदेवीभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रूप्यकूलादेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य हैरण्यवतदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य मणिकांचनदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४८।।
जंबूद्वीप-शिखरीपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य शिखरीदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य हैरण्यवतदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रसदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रक्तादेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य लक्ष्मीदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य सुवर्णकूलादेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रक्तवतीदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य गंधवतीदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य ऐरावतदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य वैश्रवणदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५८।।
जंबूद्वीप-ऐरावतक्षेत्र विजयार्धपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य ऐरावतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य कृतमालदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य मणिभद्रदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य विजयार्धकुमारदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य पूर्णभद्रदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य नृत्यमालदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य दक्षिणैरावत-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य वैश्रवणदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६६।।
ईशानदिशा में माल्यवानगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य माल्यवानदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य उत्तरकुरुदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य कच्छदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य सुभोगादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य भोगमालिनीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य पूर्णभद्रदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य सीतादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य हरिसहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७४।।
आग्नेयदिशा में सौमनसगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य सौमनसदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य देवकुरुदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य मंगलदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य वत्समित्रादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य सुमित्रादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य विशिष्टदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८०।।
नैऋत्य दिशा में विद्युत्प्रभगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य विद्युत्प्रभदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य देवकुरुदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य पद्मदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य वारिषेणादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य बलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य शतज्वालदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य सीतोददेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य हरिसहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८८।।
वायव्यदिशा में गंधमादन गजदंतपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य गंधमादनदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य उत्तरकुरुदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य गंधमालीदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य भोगवतीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य भोगंकरादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य आनंददेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९४।।
जंबूद्वीप वक्षार देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य चित्रदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य कच्छदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य सुकच्छादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य नलिनदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य महाकच्छदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य कच्छकावतीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१००।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य पद्मदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य आवर्तदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य लांगलावतीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य एकशैलदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य पुष्कलदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य पुष्कलावतीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य त्रिकूटदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य वत्सदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य सुवत्सादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य वैश्रवणदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य महावत्सदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१११।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य वत्सकावतीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य अंजनदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य रम्यक देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य सुरम्यादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य आत्मांजनदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य रमणीयदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य मंगलावतीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य श्रद्धावानदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य पद्मदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य सुपद्मादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य विजटावान्देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य महापद्मदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य पद्मकावतीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य आशीविषदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य शंखदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य नलिनीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य सुखावहदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य कुमुददेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य सरितादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य चन्द्रमालदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य वप्रदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य सुवप्रादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य सूर्यमालदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य महावप्रदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य वप्रकावतीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य नागमालदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य गंधदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य सुगंधादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य देवमालदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य गंधिलदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य गंधमालिनीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४२।।
छह सरोवर कमलसंबंधि देवीभवन के 6 अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-पद्मसरोवरस्य श्रीदेवीभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महापद्मसरोवरस्य ह्रीदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-तिगिंछसरोवरस्य धृतिदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-केशरिसरोवरस्य कीर्तिदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-महापुण्डरीकसरोवरस्य बुद्धिदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-पुण्डरीकसरोवरस्य लक्ष्मीदेवीभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४८।।
वृषभाचल देवभवन के 2 अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रस्य वृषभाचलपर्वतस्थित वृषभनामदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रस्य वृषभाचलपर्वतस्थित वृषभनामदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५०।।
नाभिगिरि देवभवन के 4 अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हैमवतक्षेत्रस्य शब्दवाननाभिगिरिपर्वतस्थस्वाति-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हरिक्षेत्रस्य विजयवाननाभिगिरिपर्वतस्थचारण-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रम्यव्âक्षेत्रस्य पद्मवाननाभिगिरिपर्वतस्थपद्म-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हैरण्यवतक्षेत्रस्य गंधवाननाभिगिरिपर्वतस्थप्रभास-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५४।।
गंगादेवी आदि के महल के भगवान के 14 अर्घ्य
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-गंगादेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूटसहित-
जिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सिंधुदेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूटसहित-
जिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रोहित्देवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूट-
सहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रोहितास्यादेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूट-
सहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हरित्देवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूटसहित-
जिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-हरिकांतादेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूट-
सहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सीतादेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूटसहित-
जिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सीतोदादेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूट-
सहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नारीदेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूटसहित-
जिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-नरकांतादेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूट-
सहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६४।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सुवर्णकूलादेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूट-
सहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६५।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रूप्यकूलादेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूट-
सहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६६।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रक्तादेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूटसहित-
जिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६७।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-रक्तोदादेवीप्रासादस्योपरि विराजमानजटाजूट-
सहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६८।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-द्वात्रिंशद्विदेहक्षेत्रस्थविजयार्धपर्वतेषु अष्टादश-
देवभवनसंबंधि-द्विशतषट्पंचाशद् देवभवनस्थित जिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६९।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-द्वात्रिंशद्विदेहक्षेत्रस्थद्वात्रिंशद्वृषभाचलपर्वतेषु
वृषभनामदेवभवनस्थित जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं
निर्वपामीति स्वाहा।।१७०।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-चतुर्यमकगिरिपर्वतेषु चित्र-विचित्र-यमक-मेघनाम
देवभवनस्थित जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-अष्टदिग्गजपर्वतेषु पद्मोत्तर-नील-स्वस्तिक-अंजन-
कुमुद-पलाश-अवतंस-रोचन देवभवनस्थित जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७२।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-द्विशतकांचनपर्वतेषु द्विशतकांचननामदेवभवनस्थित
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७३।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-सीता-सीतोदानदीमध्ये नील-उत्तरकुरु-चंद्र-ऐरावत-
माल्यवंत-निषध-देवकुरु-सूर-सुलस-विद्युत्नाम दश दश सरोवरेषु नागकुमारी
देवीभवनस्थित जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७४।।
-पूर्णार्घ्य-
रजताचल कुलपर्वत वृषभाचल गजदंत यमकगिरि।
श्री ह्री आदिक देवीगृह गंगा आदि के गृह उपरि।।
गृह चैत्यालय में जिनप्रतिमा, इन सबको नित वंदन।
मैं पूजूँ पूर्णार्घ्य चढ़ाकर, करूँ कोटि अभिनंदन।।१।।
ॐ ह्रीं जंबूद्वीपसंबंधि-विजयार्धपर्वतादि-चतु:सप्तत्यधिक एकशतदेव-
देवीभवनस्थित जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
दोहा- द्वीप धातकी खण्ड में, पर्वत इष्वाकार।
सुरगृह के जिनगेह को, पूजूँ श्रद्धाधार।।१।।
अथ धातकीखण्डद्वीपस्य दक्षिणोत्तरसंबंधि-
इष्वाकारपर्वतस्योपरि देवभवनस्थितजिन-
प्रतिमापूजा प्रतिज्ञापनाय दिव्य पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
ॐ ह्रीं धातकीखण्डद्वीपसंबंधि-दक्षिणदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं धातकीखण्डद्वीपसंबंधि-दक्षिणदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं धातकीखण्डद्वीपसंबंधि-दक्षिणदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं धातकीखण्डद्वीपसंबंधि-उत्तरदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं धातकीखण्डद्वीपसंबंधि-उत्तरदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं धातकीखण्डद्वीपसंबंधि-उत्तरदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
-पूर्णार्घ्य-दोहा-
शाश्वत जिनगृह के भवन, जिनप्रतिमा अभिराम।
पूजूँ नित पूर्णार्घ्य से, शत शत करूँ प्रणाम।।
ॐ ह्रीं धातकीखण्डद्वीपसंबंधि-दक्षिणोत्तरदिशायां इष्वाकारपर्वतयो:
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
दोहा- पूर्व धातकी द्वीप के, सुरगृह के जिनधाम।
पुष्पांजलि कर पूजते, मिले निजातम धाम।।१।।
अथ पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-देवभवनस्थितजिनप्रतिमापूजा प्रतिज्ञापनाय पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
पूर्वधातकीखण्डद्वीप भरतक्षेत्र विजयार्धपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य दक्षिणार्ध-
भरतदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीतिस्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य नृत्यमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य पूर्णभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य विजयार्ध-
कुमारदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य मणिभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य कृतमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य उत्तरार्ध-
भरतदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य वैश्रवण-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
पूर्वधातकीखण्डद्वीप हिमवान पर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य हिमवानदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य भरतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य इलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य गंगादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य श्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य रोहितास्यादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य सिंधुदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य सुरादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य हैमवतकदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य वैश्रवणदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१८।।
पूर्वधातकीखण्डद्वीप महाहिमवानपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य महाहिमवानदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हैमवतकदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य रोहितादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य ह्रीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हरिकांतादेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हरिवर्षदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य वैडूर्यदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२५।।
पूर्वधातकीखण्डद्वीप-निषधपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य निषधदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य हरिवर्षदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य पूर्वविदेहदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२८।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य हरित्देवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य धृतिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य सीतोदादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य अपरविदेहदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य रुचकदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३३।।
पूर्वधातकीखण्डद्वीप-नीलपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य नीलदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य पूर्वविदेहदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य सीतादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य कीर्तिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य नरकांतादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३८।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य अपरविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य रम्यकदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य अपदर्शनदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४१।।
पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मीपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रुक्मिदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रम्यव्देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य नारीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य बुद्धिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रूप्यकूलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य हैरण्यवतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य मणिकांचनदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४८।।
पूर्वधातकीखण्डद्वीप-शिखरीपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य शिखरीदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य हैरण्यवतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रसदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रक्तादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य लक्ष्मीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य सुवर्णकूलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रक्तवतीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य गंधवतीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य ऐरावतदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य वैश्रवणदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५८।।
पूर्वधातकीखण्डद्वीप-ऐरावतक्षेत्र विजयार्धपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य ऐरावत-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य कृतमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य मणिभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य विजयार्ध-
कुमारदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य पूर्णभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य नृत्यमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य दक्षिणैरावत-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य वैश्रवण-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६६।।
ईशानदिशा में माल्यवानगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य माल्यवान-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य उत्तरकौरव-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६८।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य कच्छ-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य सुभोगा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य भोगमालिनी-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य पूर्णभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य सीतादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य हरिसह-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७४।।
आग्नेयदिशा में सौमनसगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य सौमनस-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य देवकुरु-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य मंगल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य वत्समित्रा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७८।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य सुमित्रा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य विशिष्ट-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८०।।
नैऋत्यदिशा में विद्युत्प्रभगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य विद्युत्प्रभ-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य देवकुरु-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य पद्म-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य वारिषेणा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य बलादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य शतज्वाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य सीतोद-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य हरिसह-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८८।।
वायव्यदिशा में गंधमादन गजदंतपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य गंधमादन-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य उत्तरकुरु-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य गंधमाली-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य भोगवती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य भोगंकरादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य आनंददेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९४।।
पूर्वधातकीखण्डद्वीप वक्षार देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य चित्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य कच्छदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य सुकच्छादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य नलिनदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९८।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य महाकच्छदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य कच्छकावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१००।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य पद्मदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य आवर्तदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य लांगलावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य एकशैलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य पुष्कलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य पुष्कलावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य त्रिकूटदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य वत्सदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०८।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य सुवत्सादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य वैश्रवणदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य महावत्सदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१११।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य वत्सकावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य अंजनदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य रम्यकदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य सुरम्यादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य आत्मांजन-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य रमणीय-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य मंगलावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११८।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य श्रद्धावान-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य पद्मदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य सुपद्मादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य विजटावान्-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य महापद्म-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य पद्मकावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य आशीविष-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य शंखदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य नलिनीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य सुखावहदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२८।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य कुमुददेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य सरितादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य चंद्रमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य वप्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य सुवप्रादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य सूर्यमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य महावप्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य वप्रकावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य नागमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य गंधदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३८।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य सुगंधादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य देवमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य गंधिलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य गंधमालिनीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४२।।
छहसरोवर कमलसंबंधि देवी भवन के 6 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मसरोवरस्य श्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महापद्मसरोवरस्य ह्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-तिगिंछसरोवरस्य धृतिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-केशरिसरोवरस्य कीर्तिदेवीभवनि
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महापुण्डरीकसरोवरस्य बुद्धिदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पुण्डरीकसरोवरस्य लक्ष्मीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४८।।
वृषभाचल देवभवन के 2 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रस्य वृषभाचलपर्वतस्थित-
वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रस्य वृषभाचलपर्वतस्थित-
वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५०।।
नाभिगिरि देवभवन के 4 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हैमवतक्षेत्रस्य शब्दवाननाभिगिरि-
पर्वतस्थस्वातिदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं
निर्वपामीति स्वाहा।।१५१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हरिक्षेत्रस्य विजयवाननाभिगिरि-
पर्वतस्थचारणदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं
निर्वपामीति स्वाहा।।१५२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रम्यव्क्षेत्रस्य पद्मवाननाभिगिरि-
पद्मदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं
निर्वपामीति स्वाहा।।१५३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हैरण्यवतक्षेत्रस्य गंधवाननाभिगिरि-
पर्वतस्थप्रभासदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं
निर्वपामीति स्वाहा।।१५४।।
गंगादेवी आदि के महल के भगवान के 14 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंगादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सिंधुदेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रोहित्देवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रोहितास्यादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५८।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हरित्देवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हरिकांतादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सीतादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सीतोदादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नारीदेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नरकांतादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६४।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुवर्णकूलादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६५।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रूप्यकूलादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६६।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रक्तादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६७।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रक्तोदादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६८।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-द्वात्रिंशद्विदेहक्षेत्रस्थविजयार्धपर्वतेषु
अष्टादशदेवभवन-संबंधि-द्विशतषट्-पंचाशद्देवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६९।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-द्वात्रिंशद्विदेहक्षेत्रस्थद्वात्रिंशद् वृषभाचल-
पर्वतेषु वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं
निर्वपामीति स्वाहा।।१७०।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चतुर्यमकगिरिपर्वतेषु चित्र-विचित्र-यमक-
मेघनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अष्टदिग्गजपर्वतेषु पद्मोत्तर-नील-स्वस्तिक-
अंजन-कुमुद-पलाश-अवतंस-रोचनदेवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७२।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-द्विशतकांचनपर्वतेषु द्विशतकांचननाम
देवभवनस्थितजिनचैत्यालय-जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७३।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सीता-सीतोदानदीमध्ये नील-उत्तरकुरु-
चंद्र-ऐरावत-माल्यवंत-निषध-देवकुरु-सूर-सुलस-विद्युत्नाम दश दश सरोवरेषु
नागकुमारी देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७४।।
पूर्णार्घ्य (दोहा)
पूर्व धातकी खण्ड में, देवभवन श्रुतमान्य।
उनमें जिनगृह मूर्तियाँ, जजत मिले धन-धान्य।।१।।
ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयार्धपर्वतादिदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
दोहा- अपरधातकी खण्ड में, सुरगृह में जिनसद्म।
पुष्पांजलि से पूजते, पाऊँ निजसुख सद्म।।१।।
अथ पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-देवभवनस्थितजिनप्रतिमापूजा-
प्रतिज्ञापनाय पुष्पांजलिं क्षिपेत्
पश्चिमधातकीखण्डद्वीप भरतक्षेत्र विजयार्धपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य दक्षिणार्ध-
भरतदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य नृत्यमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य पूर्णभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य विजयार्ध-
कुमारदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य मणिभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य कृतमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य उत्तरार्ध-
भरतदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य वैश्रवण-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
पश्चिमधातकीखण्डद्वीप हिमवानपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य हिमवानदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य भरतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य इलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य गंगादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य श्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य रोहितास्यादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य सिंधुदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य सुरादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य हैमवतकदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य वैश्रवणदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१८।।
पश्चिमधातकीखण्डद्वीप महाहिमवानपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य महाहिमवान-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हैमवतकदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य रोहितादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य ह्रीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हरिकांतादेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हरिवर्षदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य वैडूर्यदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२५।।
पश्चिमधातकी खण्डद्वीप-निषधपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य निषधदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य हरिवर्षदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य पूर्वविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य हरित्देवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य धृतिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य सीतोदादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य अपरविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य रुचकदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३३।।
पश्चिमधातकीखण्डद्वीप नीलपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य नीलदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य पूर्वविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य सीतादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य कीर्तिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य नरकांतादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य अपरविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य रम्यव्देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य अपदर्शनदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४१।।
पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रुक्मिदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रम्यव्देवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य नारीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य बुद्धिदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रूप्यकूलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य हैरण्यवतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य मणिकांचनदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४८।।
पश्चिमधातकीखण्डद्वीप-शिखरीपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य शिखरीदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य हैरण्यवतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रसदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रक्तादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य लक्ष्मीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य सुवर्णकूलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रक्तवतीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य गंधवतीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य ऐरावतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य वैश्रवणदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५८।।
पश्चिमधातकीखण्डद्वीप-ऐरावतक्षेत्र विजयार्धपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य
ऐरावतदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य
कृतमालदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य
मणिभद्रदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य
विजयार्धकुमारदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य
पूर्णभद्रदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य
नृत्यमालदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य
दक्षिणैरावतदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य
वैश्रवणदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६६।।
ईशानदिशा में माल्यवानगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य माल्यवान-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य उत्तरकौरव-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य कच्छ-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य सुभोगा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य भोगमालिनी-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य पूर्णभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य सीतादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य हरिसह-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७४।।
आग्नेयदिशा में सौमनसगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य सौमनस-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य देवकुरु-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य मंगल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य वत्समित्रा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य सुमित्रा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य विशिष्ट-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८०।।
नैऋत्यदिशा में विद्युत्प्रभगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य विद्युत्प्रभ-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य देवकुरु-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य पद्म-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य वारिषेणा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य
बलादेवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य
शतज्वालदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य
सीतोददेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य
हरिसहदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८८।।
वायव्यदिशा में गंधमादन गजदंतपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य
गंधमादनदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य
उत्तरकुरुदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य
गंधमालीदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य
भोगवतीदेवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य
भोगंकरादेवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य
आनंददेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९४।।
पश्चिमधातकीखण्डद्वीप वक्षार देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य चित्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य कच्छदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य सुकच्छादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य नलिनदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य महाकच्छदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य कच्छकावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१००।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य पद्मदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य आवर्तदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य लांगलावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य एकशैलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य पुष्कलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य पुष्कलावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य त्रिकूटदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य वत्सदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य सुवत्सादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य वैश्रवणदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य महावत्सदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१११।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य वत्सकावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य अंजनदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य रम्यव्देव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य सुरम्यादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य आत्मांजन-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य रमणीय-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य मंगलावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य श्रद्धावान-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य पद्मदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य सुपद्मादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य विजटावान्-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य महापद्म-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य पद्मकावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य आशीविष-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य शंखदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य नलिनीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य सुखावहदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य कुमुददेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य सरितादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य चंद्रमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य वप्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य सुवप्रादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य सूर्यमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य महावप्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य वप्रकावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य नागमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य गंधदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य सुगंधीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य देवमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य गंधिलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य गंधमालिनीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४२।।
छहसरोवर कमलसंबंधि देवी भवन के 6 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पद्मसरोवरस्य श्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महापद्मसरोवरस्य ह्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-तिगिंछसरोवरस्य धृतिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-केशरिसरोवरस्य कीर्तिदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महापुण्डरीकसरोवरस्य बुद्धिदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-पुण्डरीकसरोवरस्य लक्ष्मीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४८।।
वृषभाचल देवभवन के 2 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रस्य वृषभाचलपर्वतस्थित-
वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रस्य वृषभाचलपर्वतस्थित-
वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५०।।
नाभिगिरि देवभवन के 4 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हैमवतक्षेत्रस्य शब्दवाननाभिगिरि-
पर्वतस्थस्वातिदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हरिक्षेत्रस्य विजयवाननाभिगिरि-
पर्वतस्थचारणदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रम्यकक्षेत्रस्य पद्मवाननाभिगिरि-
पद्मदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हैरण्यवतक्षेत्रस्य गंधवाननाभिगिरि-
पर्वतस्थप्रभासदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५४।।
गंगादेवी आदि के महल के भगवान के 14 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-गंगादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सिंधुदेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रोहित्देवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रोहितास्यादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हरित्देवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हरिकांतादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सीतादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सीतोदादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नारीदेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नरकांतादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमान-जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सुवर्णकूलादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रूप्यकूलादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रक्तादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रक्तोदादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-द्वात्रिंशद्विदेहक्षेत्रस्थविजयार्धपर्वतेषु
अष्टादशदेवभवन-संबंधि-द्विशतषट्-पंचाशद्देवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-द्वात्रिंशद्विदेहक्षेत्रस्थद्वात्रिंशद्
वृषभाचलपर्वतेषु वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-चतुर्यमकगिरिपर्वतेषु चित्र-
विचित्र-यमक-मेघनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-अष्टदिग्गजपर्वतेषु पद्मोत्तर-नील-
स्वस्तिक-अंजन-कुमुद-पलाश-अवतंस-रोचनदेवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-द्विशतकांचनपर्वतेषु द्विशतकांचन-
नाम देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सीता-सीतोदानदीमध्ये नील-उत्तरकुरु-
चंद्र-ऐरावत-माल्यवंत-निषध-देवकुरु-सूर-सुलस-विद्युत्नाम दश दश सरोवरेषु
नागकुमारी देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७४।।
पूर्णार्घ्य (दोहा)
अपर धातकीखण्ड द्वीप में, देवभवन जितने हैं।
उनमें गृहचैत्यालय शाश्वत, रत्नमयी दिखते हैं।।
सबमें जिनवर प्रतिमा अनुपम, पूजत पाप नशाऊँ।
शाश्वत अनुपम निज सुख पाकर, पुन: न जग में आऊँ।।१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-विजयार्धपर्वतादिसर्वदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
दोहा- स्वयंसिद्ध जिनबिम्ब हैं, सुरभवनों में नित्य।
पुष्पांजलि से पूजहूँ, मिले स्वात्मसुख नित्य।।१।।
अथ पुष्करार्धद्वीपस्य दक्षिणोत्तरसंबंधि-इष्वाकारपर्वतस्योपरि देवभवनस्थितजिन-
प्रतिमापूजा प्रतिज्ञापनाय दिव्य पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीपसंबंधि-दक्षिणदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीपसंबंधि-दक्षिणदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीपसंबंधि-दक्षिणदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीपसंबंधि-उत्तरदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीपसंबंधि-उत्तरदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीपसंबंधि-उत्तरदिशि इष्वाकारपर्वतस्य देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
पूर्णार्घ्य (दोहा)- स्वर्णिम इष्वाकार गिरि, देवभवन जिनसद्म।
जिनबिम्बों को नित जजूँ, पाऊँ अविचल सद्म।।७।।
ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीपसंबंधि-दक्षिणोत्तरदिशो: इष्वाकारपर्वतस्य देवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
दोहा- पूरब पुष्करद्वीप में, सुरगृह में जिनगेह।
पुष्पांजलि कर पूजहूँ, जिनवच में धरनेह।।१।।
अथ पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-देवभवनस्थितजिनप्रतिमापूजा प्रतिज्ञापनाय पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
पूर्वपुष्करार्धद्वीप भरतक्षेत्र विजयार्धपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य दक्षिणार्ध-
भरतदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य नृत्यमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य पूर्णभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य विजयार्ध-
कुमारदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य मणिभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य कृतमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य उत्तरार्ध-
भरतदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य वैश्रवण-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
पूर्वपुष्करार्धद्वीप हिमवानपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य हिमवानदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य भरतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य इलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य गंगादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य श्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य रोहितास्यादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य सिंधुदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य सुरादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य हैमवतकदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य वैश्रवणदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१८।।
पूर्वपुष्करार्धद्वीप महाहिमवानपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य महाहिमवान-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हैमवतकदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य रोहितादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य ह्रीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हरिकांतादेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हरिवर्षदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य वैडूर्यदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२५।।
पूर्वपुष्करार्धद्वीप-निषधपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य निषधदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य हरिवर्षदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य पूर्वविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२८।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य हरित्देवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य धृतिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य सीतोदादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य अपरविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य रुचकदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३३।।
पूर्वपुष्करार्धद्बीप-नीलपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य नीलदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य पूर्वविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य सीतादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य कीर्तिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य नरकांतादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३८।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य अपरविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य रम्यव्देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४०।।
पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य अपदर्शनदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रुक्मिदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रम्यव्देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य नारीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य बुद्धिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रूप्यकूलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य हैरण्यवतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य मणिकांचनदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४८।।
पूर्वपुष्करार्धद्वीप-शिखरीपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य शिखरीदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य हैरण्यवतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रसदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रक्तादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य लक्ष्मीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य सुवर्णकूलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रक्तवतीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य गंधवतीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य ऐरावतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य वैश्रवणदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५८।।
पूर्वपुष्करार्धद्वीप-ऐरावतक्षेत्र विजयार्धपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य ऐरावत-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य कृतमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य मणिभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य विजयार्ध-
कुमारदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य पूर्णभद्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य नृत्यमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य दक्षिणैरावत-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य वैश्रवणदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६६।।
ईशानदिशा में माल्यवानगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य माल्यवान-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य उत्तरकौरव-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६८।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य कच्छ-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य सुभोगा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य भोगमालिनी-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य पूर्णभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य सीतादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य हरिसह-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७४।।
आग्नेयदिशा में सौमनसगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य सौमनस-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य देवकुरु-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य मंगलदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य वत्समित्रादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७८।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य सुमित्रादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य विशिष्टदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८०।।
नैऋत्यदिशा में विद्युत्प्रभगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य विद्युत्प्रभ-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य देवकुरुदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य पद्मदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य वारिषेणादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य बलादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य शतज्वाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य सीतोददेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य हरिसहदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८८।।
वायव्यदिशा में गंधमादन गजदंतपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य गंधमादनदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य उत्तरकुरुदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य गंधमालीदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य भोगवतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य भोगंकरादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य आनंददेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९४।।
पूर्वपुष्करार्धद्वीप वक्षार देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य चित्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य कच्छदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य सुकच्छादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य नलिनदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९८।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य महाकच्छदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य कच्छकावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१००।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य पद्मदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य आवर्तदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य लांगलावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य एकशैलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य पुष्कलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य पुष्कलावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य त्रिकूटदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य वत्सदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०८।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य सुवत्सादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य वैश्रवणदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य महावत्सदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१११।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य वत्सकावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य अंजनदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य रम्यव्देव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य सुरम्यादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य आत्मांजन-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य रमणीय-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य मंगलावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११८।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य श्रद्धावान-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य पद्मदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य सुपद्मादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य विजटावान्-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य महापद्म-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य पद्मकावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य आशीविष-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य शंखदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य नलिनीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य सुखावहदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२८।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य कुमुददेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य सरितादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य चंद्रमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य वप्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य सुवप्रादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य सूर्यमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य महावप्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य वप्रकावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य नागमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य गंधदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३८।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य सुगंधादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य देवमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य गंधिलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य गंधमालिनीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४२।।
छहसरोवर कमलसंबंधि देवी भवन के 6 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मसरोवरस्य श्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महापद्मसरोवरस्य ह्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-तिगिंछसरोवरस्य धृतिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-केशरिसरोवरस्य कीर्तिदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महापुण्डरीकसरोवरस्य बुद्धिदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पुण्डरीकसरोवरस्य लक्ष्मीदेवीभवन
-स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४८।।
वृषभाचल देवभवन के 2 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रस्य वृषभाचलपर्वतस्थित-
वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रस्य वृषभाचलपर्वतस्थित-
वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५०।।
नाभिगिरि देवभवन के 4 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हैमवतक्षेत्रस्य शब्दवाननाभिगिरिपर्वतस्थ-
स्वातिदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हरिक्षेत्रस्य विजयवाननाभिगिरिपर्वतस्थ-
चारणदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रम्यकक्षेत्रस्य पद्मवाननाभिगिरिपर्वतस्थ-
पद्मदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हैरण्यवतक्षेत्रस्य गंधवाननाभिगिरिपर्वतस्थ
प्रभासदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५४।।
गंगादेवी आदि के महल के भगवान के 14 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंगादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सिंधुदेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रोहित्देवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रोहितास्यादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५८।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हरित्देवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हरिकांतादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सीतादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सीतोदादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नारीदेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नरकांतादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६४।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुवर्णकूलादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६५।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रूप्यकूलादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६६।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रक्तादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६७।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रक्तोदादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६८।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-द्वात्रिंशद्विदेहक्षेत्रस्थविजयार्धपर्वतेषु
अष्टादशदेवभवन-संबंधि-द्विशतषट्-पंचाशद् देवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६९।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-द्वात्रिंशद्विदेहक्षेत्रस्थद्वात्रिंशद् वृषभाचल-
पर्वतेषु वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति
स्वाहा।।१७०।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चतुर्यमकगिरिपर्वतेषु चित्र-विचित्र-यमक-
मेघनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-अष्टदिग्गजपर्वतेषु पद्मोत्तर-नील-स्वस्तिक-
अंजन-कुमुद-पलाश-अवतंस-रोचनदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिन-प्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७२।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-द्वशतकांचनपर्वतेषु द्विशतकांचननाम
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७३।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सीता-सीतोदानदीमध्ये नील-उत्तरकुरु-चंद्र-ऐरावत
-माल्यवंत-निषध-देवकुरु-सूर-सुलस-विद्युत्नाम दश दश सरोवरेषु नागकुमारी
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७४।।
-पूर्णार्घ्य-
वर पूर्व पुष्करद्वीप में, सुर के गृहों में जिनभवन।
उनमें जिनेश्वर मूर्तियाँ, पूजत मिले निज स्वात्म धन।।
पूर्णार्घ्य से पूजूँ सदा, पाऊँ अनूपम सौख्य को।
शाश्वत जिनालय वंदना, हरती अखिल दुख दोष को।।१।।
ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विजयार्धपर्वतादि-सर्वदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
दोहा- पश्चिम पुष्कर द्वीप में, सुरगृह में जिनधाम।
पूजन हेतू मैं करूँ, पुष्पांजलि इत ठाम।।१।।
अथ पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-देवभवनस्थितजिनप्रतिमापूजा प्रतिज्ञापनाय पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
पश्चिमपुष्करार्धद्वीपभरतक्षेत्र विजयार्धपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य दक्षिणार्ध-
भरतदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य नृत्यमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य पूर्णभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य विजयार्ध-
कुमारदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य मणिभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य कृतमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य उत्तरार्ध-
भरतदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य वैश्रवण-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
पश्चिमपुष्करार्धद्वीप हिमवानपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य हिमवानदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य भरतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य इलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य गंगादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य श्रीदेवीभवनस्थित
-जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य रोहितास्यादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य सिंधुदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य सुरादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य हैमवतकदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्य वैश्रवणदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१८।।
पश्चिमपुष्करार्धद्वीप महाहिमवानपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य महाहिमवान-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हैमवतकदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य रोहितादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य ह्रीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हरिकांतादेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य हरिवर्षदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्य वैडूर्यदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२५।।
पश्चिमपुष्करार्धद्वीप-निषधपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य निषधदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य हरिवर्षदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य पूर्वविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य हरित्देवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य धृतिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य सीतोदादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य अपरविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्य रुचकदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३३।।
पश्चिमपुष्करार्धद्बीप-नीलपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य नीलदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य पूर्वविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य सीतादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य कीर्तिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य नरकांतादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य अपरविदेहदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य रम्यक्देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्य अपदर्शनदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४१।।
पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मीपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रुक्मिदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रम्यव्देवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य नारीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य बुद्धिदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य रूप्यकूलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य हैरण्यवतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्य मणिकांचनदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४८।।
पश्चिमपुष्करार्धद्वीप-शिखरीपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य शिखरीदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य हैरण्यवतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रसदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रक्तादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य लक्ष्मीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य सुवर्णकूलादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य रक्तवतीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य गंधवतीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य ऐरावतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्य वैश्रवणदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५८।।
पश्चिमपुष्करार्धद्वीप-ऐरावतक्षेत्र विजयार्धपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य ऐरावतदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य कृतमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य मणिभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य विजयार्ध-
कुमारदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य पूर्णभद्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य नृत्यमाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य दक्षिणैरावत-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रविजयार्धपर्वतस्य वैश्रवण-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६६।।
ईशानदिशा में माल्यवानगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य माल्यवान-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य उत्तरकौरव-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य कच्छ-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य सुभोगा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य भोगमालिनी-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य पूर्णभद्र-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य सीतादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-माल्यवानगजदंतपर्वतस्य हरिसह-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७४।।
आग्नेयदिशा में सौमनसगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य सौमनस-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य देवकुरु-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य मंगल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य वत्समित्रा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य सुमित्रा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सौमनसगजदंतपर्वतस्य विशिष्ट-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८०।।
नैऋत्यदिशा में विद्युत्प्रभगजदंत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य विद्युत्प्रभ-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य देवकुरु-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य पद्म-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य वारिषेणा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य बलादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य शतज्वाल-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य सीतोददेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विद्युत्प्रभगजदंतपर्वतस्य हरिसहदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८८।।
वायव्यदिशा में गंधमादन गजदंतपर्वत देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य गंधमादनदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य उत्तरकुरुदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य गंधमालीदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य भोगवती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य भोगंकरा-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंधमादनगजदंतपर्वतस्य आनंददेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९४।।
पश्चिमपुष्करार्धद्वीप वक्षार देवभवन अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य चित्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य कच्छदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चित्रकूटवक्षारपर्वतस्य सुकच्छादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य नलिनदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य महाकच्छदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नलिनकूटवक्षारपर्वतस्य कच्छकावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१००।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य पद्मदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य आवर्तदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मकूटवक्षारपर्वतस्य लांगलावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य एकशैलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य पुष्कलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-एकशैलकूटवक्षारपर्वतस्य पुष्कलावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य त्रिकूटदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य वत्सदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-त्रिकूटवक्षारपर्वतस्य सुवत्सादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य वैश्रवणदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य महावत्सदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१११।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-वैश्रवणवक्षारपर्वतस्य वत्सकावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य अंजनदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य रम्यव्देव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-अंजनवक्षारपर्वतस्य सुरम्यादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य आत्मांजन-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य रमणीय-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आत्मांजनवक्षारपर्वतस्य मंगलावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य श्रद्धावान-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य पद्मदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-श्रद्धावद्वक्षारपर्वतस्य सुपद्मादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य विजटावान्-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य महापद्म-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-विजटावद्वक्षारपर्वतस्य पद्मकावती-
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य आशीविष-
देवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य शंखदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-आशीविषवक्षारपर्वतस्य नलिनीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य सुखावहदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य कुमुददेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुखावहवक्षारपर्वतस्य सरितादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य चंद्रमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य वप्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चंद्रमालवक्षारपर्वतस्य सुवप्रादेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य सूर्यमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य महावप्रदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सूर्यमालवक्षारपर्वतस्य वप्रकावतीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य नागमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य गंधदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नागमालवक्षारपर्वतस्य सुगंधीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य देवमालदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य गंधिलदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-देवमालवक्षारपर्वतस्य गंधमालिनीदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४२।।
छहसरोवर कमलसंबंधि देवी भवन के 6अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पद्मसरोवरस्य श्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महापद्मसरोवरस्य ह्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-तिगिंछसरोवरस्य धृतिदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-केशरिसरोवरस्य कीर्तिदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महापुण्डरीकसरोवरस्य बुद्धिदेवी-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-पुण्डरीकसरोवरस्य लक्ष्मीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४८।।
वृषभाचल देवभवन के 2अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-भरतक्षेत्रस्य वृषभाचलपर्वतस्थित-
वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-ऐरावतक्षेत्रस्य वृषभाचलपर्वतस्थित-
वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५०।।
नाभिगिरि देवभवन के 4 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हैमवतक्षेत्रस्य शब्दवाननाभिगिरि-
पर्वतस्थस्वातिदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हरिक्षेत्रस्य विजयवाननाभिगिरि-
पर्वतस्थचारणदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रम्यव्âक्षेत्रस्य पद्मवाननाभिगिरिपर्वतस्थ-
पद्मदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हैरण्यवतक्षेत्रस्य गंधवाननाभिगिरि-
पर्वतस्थ प्रभासदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५४।।
गंगादेवी आदि के महल के भगवान के 14 अर्घ्य
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-गंगादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सिंधुदेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रोहित्देवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रोहितास्यादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हरित्देवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हरिकांतादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सीतादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सीतोदादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नारीदेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नरकांतादेवीप्रासादस्योपरि-विराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६४।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सुवर्णकूलादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६५।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रूप्यकूलादेवीप्रासादस्योपरि-
विराजमानजटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६६।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रक्तादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६७।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रक्तोदादेवीप्रासादस्योपरिविराजमान-
जटाजूटसहितजिनप्रतिमायै अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६८।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-द्वात्रिंशद्विदेहक्षेत्रस्थविजयार्धपर्वतेषु
अष्टादशदेवभवन-संबंधि-द्विशतषट्-पंचाशद् देवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६९।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-द्वात्रिंशद्विदेहक्षेत्रस्थद्वात्रिंशद्
वृषभाचलपर्वतेषु वृषभनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७०।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-चतुर्यमकगिरिपर्वतेषु चित्र-विचित्र-
यमक-मेघनामदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं
निर्वपामीति स्वाहा।।१७१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-अष्टदिग्गजपर्वतेषु पद्मोत्तर-नील-
स्वस्तिक-अंजन-कुमुद-पलाश-अवतंस-रोचनदेवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७२।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-द्वशतकांचनपर्वतेषु द्विशतकांचननाम
देवभवनस्थितजिनचैत्यालय-जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७३।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सीता-सीतोदानदीमध्ये नील-उत्तरकुरु-चंद्र-
ऐरावत-माल्यवंत-निषध-देवकुरु-सूर-सुलस-विद्युत्नाम दश दश सरोवरेषु नागकुमारी
देवीभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७४।।
—कुसुमलता छन्द-
पूर्णार्घ्य- विजयार्ध पर्वत हिमवदादिक, पर्वतों पर सुरभवन।
इनमें जिनालय शाश्वते, जिनमूर्तियों से सुखसदन।।
पूजूँ सदा पूर्णार्घ्य ले, सब रोग शोक विनाश होें।
शाश्वत अतीन्द्रिय सौख्य पाऊँ, जहाँ पूर्ण विकास हो।।१।।
ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-विजयार्धपर्वतादिसर्वदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
सोरठा- शाश्वत जिन आगार, सुरगृह में रत्नों खचित।
प्रभु करिए भव पार, पुष्पांजलि अर्पण करूँ।।१।।
अथ मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-देवभवनस्थितजिनप्रतिमापूजा प्रतिज्ञापनाय पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
मानुषोत्तर देवभवन के 18 अर्घ्य
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतसंंबंधि-पूर्वदिशि यशस्वान्देवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-पूर्वदिक्संंबंधि-यशस्कांतदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-पूर्वदिक्संंबंधि-यशोधरदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-दक्षिणदिक्संंबंधि-नंदनदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-दक्षिणदिक्संंबंधि-नंदोत्तरदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-दक्षिणदिक्संंबंधि-अशनिघोषदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-पश्चिमदिक्संंबंधि-सिद्धार्थदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-पश्चिमदिक्संंबंधि-वैश्रवणदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-पश्चिमदिक्संंबंधि-मानसदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-उत्तरदिक्संंबंधि-सुदर्शनदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-उत्तरदिक्संंबंधि-अमोघदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-उत्तरदिक्संंबंधि-सुप्रबुद्धदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-आग्नेयदिक्संंबंधि-स्वातिदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-आग्नेयदिक्संंबंधि-वेणुदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-ईशानदिक्संंबंधि-वेणुधारीदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-ईशानदिक्संंबंधि-हनुमानदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-वायव्यदिक्संंबंधि-वेलंबदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-नैऋत्यदिक्संंबंधि-वेणुनीतदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१८।।
पूर्णार्घ्य (अडिल्लछंद)
मनुजोत्तर नग ऊपर, सुरगृह जानिये।
जिन आलय जिनप्रतिमा, को सरधानिये।।
सब प्रतिमा को शिव सुख, हेतू मैं जजूँ।
अष्टकर्म नग चूर, भक्ति से नित भजूँ।।१।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतस्योपरि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिन-
प्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
दोहा- जिनप्रतिमाएँ विघ्नघन, करतीं चकनाचूर।
इसी हेतु मैं पूजहूँ, मिले आत्म रस पूर।।१।।
अथ मण्डलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वतपरत: तृतीयपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं वारुणीवरनामचतुर्थद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं क्षीरवरनाम पंचमद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं घृतवरनाम षष्ठद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं क्षौद्रवरनाम सप्तमद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं नंदीश्वर नामाष्टमद्वीपसंबंधि-वापी-पर्वतोपरिदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
ॐ ह्रीं अरुणवरनाम नवमद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
ॐ ह्रीं अरुणाभासनाम दशमद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
ॐ ह्रीं शंखवरनाम द्वादशद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
-पूर्णार्घ्य -नरेन्द्र छंद-
तेरहद्वीप मध्य के जो हैं, द्वीप आठ अति सुन्दर।
उनमें देवभवन में जिनवर, चैत्यालय अति मनहर।।
उन सबमें जिनप्रतिमाओं को, भक्तिभाव से पूजूँ।
पूरण अर्घ्य चढ़ाकर रुचि से, सर्व दु:खों से छूटूँ।।१।।
ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीप-वारुणीवरद्वीप-क्षीरवरद्वीप-घृतवरद्वीप-क्षौद्रवरद्वीप-
नंदीश्वरद्वीप-अरुणवरद्वीप-अरुणाभासद्वीप-शंखवरनामद्वीपेषु तिरश्चां
युगलानां जघन्यभोगभूमिषु यत्र यत्र व्यन्तरदेवभवनानि सन्ति,
तेषु देवगृहचैत्यालय जिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
कुण्डलवर पर्वत देवभवन के 16 अर्घ्य
सोरठा- स्वयंसिद्ध जिनबिम्ब, कुण्डलगिरि सुरगेह में।
नमूँ नमूँ नत शीश, कुसुमांजलि कर भक्ति से।।१।।
अथ कुण्डलवरद्वीपमध्यस्थित कुण्डलवरपर्वतस्योपरि देवभवन
स्थितजिनप्रतिमापूजा प्रतिज्ञापनाय पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
अथ प्रत्येक अर्घ्य
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-वङ्कादेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-वङ्काप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-कनकदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-कनकप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-रजतदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-रजतप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-सुप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-महाप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-अंकदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-अंकप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-मणिकूटदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-मणिप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-रुचकदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-रुचकाभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-हिमवानदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-मंदरदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६।।
-पूर्णार्घ्य-
अकृत्रिम कुण्डलपर्वत पर, देवभवन में जिनवर धाम।
इनमें रतनमयी जिनप्रतिमा, भक्तिभाव से करूँ प्रणाम।।
पूरण अर्घ्य चढ़ाकर जजते, पूर्ण अतीन्द्रिय सौख्य मिले।
भव-दुख दूर भवोदधि तीर, मिले निज आतम कमल खिले।।१।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरद्वीपमध्यस्थित कुण्डलवरपर्वतस्योपरिषोडशदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
तेरहवें रुचकवरद्वीपमध्यस्थित रुचकवरपर्वत देवभवन के अर्घ्य
दोहा- रुचकवराद्री सुरभवन, उनमें जिनवरगेह।
पुष्पांजलि कर पूजहूँ, प्रभु में अतिशय नेह।।१।।
अथ त्रयोदशम रुचकवरद्वीपमध्यस्थित रुचकवरपर्वतस्योपरि चत्वारिंशद्देवभवन-
स्थितजिनप्रतिमापूजा प्रतिज्ञापनाय पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
अथ प्रत्येक अर्घ्य
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-विजयादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-वैजयन्तीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-जयंतीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-अपराजितादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-नंदादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-नंदवतीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-नंदोत्तरादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-नंदिषेणादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-इच्छादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-समाहारादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-सुप्रकीर्णादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-यशोधरादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-लक्ष्मीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-शेषवतीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-चित्रगुप्तादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-वसुंधरादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-इलादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-सुरादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१८।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-पृथिवीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१९।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-पद्मादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२०।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-एकनासादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२१।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-नवमीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२२।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-सीतादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२३।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-भद्रादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२४।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-अलंभूषादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२५।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-मिश्रकेशीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२६।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-पुण्डरीकिणीदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२७।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-वारुणीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२८।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-आशादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२९।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-सत्यादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३०।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-ह्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३१।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-श्रीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३२।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-सौदामिनीदेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३३।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-कनकादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३४।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-शतह्रदादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३५।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-कनकचित्रादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३६।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पूर्वदिक्संबंधि-रुचकादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३७।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि दक्षिणदिक्संबंधि-रुचककीर्तिदेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३८।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्संबंधि-रुचककान्तादेवीभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३९।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्संबंधि-रुचकप्रभादेवीभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४०।।
-पूर्णार्घ्य-
नित शचीपति पूजित चरण-पंकज जिनेश्वर देव हैं।
ईप्सित पदारथ हेतु भविजन, करें तुम पद सेव हैं।।
नग रुचकवर पर देवियों के, भवन शाश्वत शोभते।
उनमें जिनालय जैन प्रतिमा, पूजते मन मोहते।।१।।
ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्योपरि सर्वदेवीभवनस्थितजिनचैत्यालय-
जिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
दोहा- द्वीपजलधि के अधिपती, उन गृह में जिनबिम्ब।
पुष्पांजलि से पूजते, निजसुख मिले अनिंद्य।।१।।
अत्र त्रयोदशद्वीपसमुद्राधिपतिदेवभवनगृहचैत्यालय पूजा प्रतिज्ञापनाय पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-आदरदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-अनादरदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं लवणसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-प्रभासदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं लवणसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-प्रियदर्शनदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं धातकीखण्डद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-प्रियदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
ॐ ह्रीं धातकीखण्डद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-दर्शनदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
ॐ ह्रीं कालोदधिसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-कालदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
ॐ ह्रीं कालोदधिसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-महाकालदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-पद्मदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
ॐ ह्रीं पुष्करार्धद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-पुण्डरीकदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वताधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-चक्षुष्मान्देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११।।
ॐ ह्रीं मानुषोत्तरपर्वताधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-सुचक्षुष्मान्देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२।।
ॐ ह्रीं पुष्करवरसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-श्रीप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३।।
ॐ ह्रीं पुष्करवरसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-श्रीधरदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४।।
ॐ ह्रीं वारुणीवरद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-वरुणदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५।।
ॐ ह्रीं वारुणीवरद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-वरुणप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६।।
ॐ ह्रीं वारुणीवरसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-मध्यदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७।।
ॐ ह्रीं वारुणीवरसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-मध्यमदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१८।।
ॐ ह्रीं क्षीरवरद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-पांडुरदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१९।।
ॐ ह्रीं क्षीरवरद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-पुष्पदंतदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२०।।
ॐ ह्रीं क्षीरवरसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-विमलप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२१।।
ॐ ह्रीं क्षीरवरसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-विमलदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२२।।
ॐ ह्रीं घृतवरद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-सुप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२३।।
ॐ ह्रीं घृतवरद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-घृतवरदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२४।।
ॐ ह्रीं घृतवरसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-उत्तरदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२५।।
ॐ ह्रीं घृतवरसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-महाप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२६।।
ॐ ह्रीं क्षौद्रवरद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-कनकदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२७।।
ॐ ह्रीं क्षौद्रवरद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-कनकप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२८।।
ॐ ह्रीं क्षौद्रवरसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-पूर्णदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२९।।
ॐ ह्रीं क्षौद्रवरसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-पूर्णप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३०।।
ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-गंधदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३१।।
ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-महागंधप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३२।।
ॐ ह्रीं नंदीश्वरसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-नंदिदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३३।।
ॐ ह्रीं नंदीश्वरसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-नंदिप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३४।।
ॐ ह्रीं अरुणवरद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-चंद्रदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३५।।
ॐ ह्रीं अरुणवरद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-सुभद्रदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३६।।
ॐ ह्रीं अरुणवरसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-अरुणदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३७।।
ॐ ह्रीं अरुणवरसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-अरुणप्रभदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३८।।
ॐ ह्रीं अरुणाभासद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-सुगंधदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३९।।
ॐ ह्रीं अरुणाभासद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-सर्वगंधदेवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४०।।
ॐ ह्रीं अरुणाभाससमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४१।।
ॐ ह्रीं अरुणाभाससमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४२।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४३।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४४।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४५।।
ॐ ह्रीं कुण्डलवरसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४६।।
ॐ ह्रीं शंखवरद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४७।।
ॐ ह्रीं शंखवरद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-देवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४८।।
ॐ ह्रीं शंखवरसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४९।।
ॐ ह्रीं शंखवरसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-देवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५०।।
ॐ ह्रीं रुचकवरद्वीपाधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५१।।
ॐ ह्रीं रुचकवरद्वीपाधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-देवभवनस्थितजिन-
चैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५२।।
ॐ ह्रीं रुचकवरसमुद्राधिपति-दक्षिणदिक्संबंधि-देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५३।।
ॐ ह्रीं रुचकवरसमुद्राधिपति-उत्तरदिक्संबंधि-देवभवनस्थित-
जिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५४।।
पूर्णार्घ्य (गीताछंद)
तेरहों द्वीप-समुद्र के, अधिपति जिनागम में कहे।
इनके गृहों में चैत्य आलय, स्वर्ण मणि निर्मित रहें।।
उनमें रतनमय जैन प्रतिमा, पूजते दु:ख दूर हों।
सुख शांति संपत्ती मिले, सब मनोवांछित पूर्ण हों।।१।।
ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपादारभ्य रुचकवरसमुद्रपर्यंत-अधिपति देवानां गृहचैत्यालय-
स्थितसर्वजिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
दोहा- द्वीप-द्वार रक्षक कहें, उन गृह में जिनधाम।
पुष्पांजलि से पूजते, मिले निजातम राम।।१।।
अथ जम्बूद्वीपरक्षक-विजयद्वाराधिरक्षकदेवभवनजिन
चैत्यालयपूजाप्रतिज्ञापनाय पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपरक्षक-अनावृतयक्षदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिन-
प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
विजयद्वार आदि के देवभवन के अर्घ्य
ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपादिरुचकवरद्वीपपर्यंत पूर्वद्वाराधिपति-विजयदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपादिरुचकवरद्वीपपर्यंत दक्षिणद्वाराधिपति-वैजयंतदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपादिरुचकवरद्वीपपर्यंत पश्चिमद्वाराधिपति-जयंतदेवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपादिरुचकवरद्वीपपर्यंत उत्तरद्वाराधिपति-अपराजितदेव-
भवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
-पूर्णार्घ्य-
सब द्वीप के द्वाराधिपति के, सुरनगर विख्यात हैं।
उनमें जिनालय शाश्वते, अतिशायि महिमा प्राप्त हैं।।
उनमें विराजें मणिमयी, जिनराज प्रतिमाएँ सदा।
उन पूजते दु:ख दरिद नाशें, सर्वसुुख पावें सदा।।१।।
ॐ ह्रीं अनावृतयक्ष-विजयदेव-वैजयंतदेव-जयंतदेव-अपराजित-देवभवन-
स्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य: पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
मंत्र जाप्य – ॐ ह्रीं अर्हं त्रयोदशद्वीपसंबंधि नवदेवताभ्यो नम:।
-शंभु छंद-
जय जय सुरगृह के जिन आलय, जय जय उनकी सब जिनप्रतिमा।
जय जय जिनगृह समकित आलय, जय जय उनकी अद्भुत महिमा।।
इन जिनगृह को सुरगण पूजें, संगीत नृत्य कर भक्ति करें।
भव भव के संचित पापों को, जिनभक्ती से नि:शक्ति करें।।१।।
हिमवन शिखरी पर दश दश मह-हिमवन् रुक्मी पर सात-सात।
निषधादि नील पर आठ-आठ, गजदंत पे छह-छह आठ-आठ।।
वक्षारों पर अड़तालिस हैं, सब विजयार्धों पे आठ-आठ।
तेरहद्वीपों के पर्वत पर, हैं देवभवन शाश्वत विख्यात।।२।।
सबमें जिनगृह प्रति जिनगृह में, जिनप्रतिमा इक सौ आठ कहीं।
उनका जो वंदन करते हैं, वे पा लेते हैं मोक्ष मही।।
जिनगृह में मानस्तंभ चैत्य, सिद्धार्थ वृक्ष में जिनप्रतिमा।
स्तूप व तोरण द्वार आदि में, जिनप्रतिमा हैं अनूपमा।।३।।
मंगल घट मंगल द्रव्य धूप, घट मालाएँ भी स्वर्णमयी।
जिनप्रतिमाएँ छवि वीतराग, धारें जो शाश्वत रत्नमयी।।
हम सब जिनगृह जिनप्रतिमा की, पूजा अर्चा वंदना करें।
निज आत्मनिधी को पा करके, भव-भव दुु:ख की खंडना करें।।४।।
इन जिनप्रतिमाओं की भक्ती, मंगलकरणी भवदधितरणी।
चिन्मय चिंतामणि चेतन को, परमानन्दामृत निर्झरणी।।
जिनभक्ती गंगा महानदी, सब कर्ममलों को धो देती।
मुनिगण का मन पवित्र करके, तत्क्षण शिवसुख भी दे देती।।५।।
हे नाथ! कामना पूर्ण करो, निज चरणों का आश्रय देवो।
जब तक नहिं मुक्ति मिले मुझको, तब तक ही शरण मुझे देवो।।
तब तक तुम चरणकमल मेरे, मन में नित सुस्थिर हो जावें।
जब तक नहिं केवल ‘‘ज्ञानमती’’, तब तक मम वच तव गुण गावें।।६।।
-दोहा-
एक सहस चौबीस ये, देवभवन हैं मुख्य।
इनके जिनगृह जिनकृती, जजत मिले सब सौख्य।।७।।
ॐ ह्रीं त्रयोदशद्वीपसंबंधि-सर्वदेवभवनस्थितजिनचैत्यालयजिनप्रतिमाभ्य:
जयमाला पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा। दिव्य पुष्पांजलि:।
-शंभु छंद-
श्री तेरहद्वीप विधान भव्य, जो भावभक्ति से करते हैं।
वे नित नव मंगल प्राप्त करें, सम्पूर्ण दु:ख को हरते हैं।।
फिर तेरहवाँ गुणस्थान पाय, अर्हंत अवस्था लभते हैं।
कैवल्य ‘ज्ञानमति’ किरणों से, त्रिभुवन आलोकित करते हैं।।
।। इत्याशीर्वाद: ।।