पद्म सरोवर के पूर्व तट से गंगा नदी एवं पश्चिम तट से सिन्धु नदी निकली हैं। गंगा नदी पूर्व समुद्र में एवं सिन्धु नदी पश्चिम समुद्र में प्रवेश करती हैं। ये दोनों नदियाँ भरत क्षेत्र में बहती हैं। तथा इसी पद्म सरोवर के उत्तर तट से रोहितास्या नदी निकलकर हैमवत क्षेत्र में चली जाती है।
महापद्म सरोवर से रोहित एवं हरिकांता ये दो नदियाँ निकली हैंं। तििंगच्छ सरोवर से हरित एवं सीतोदा, केसरी सरोवर से सीता और नरकांता, महापुंडरीक सरोवर से नारी एवं रूप्यकूला तथा पुंडरीक नामक अंतिम सरोवर से रक्ता, रक्तोदा एवं स्वर्णकूला ये तीन नदियाँ निकली हैं। इस प्रकार ६ पर्वतों पर स्थित ६ सरोवरों से १४ नदियाँ निकली हैं। प्रत्येक सरोवर से २-२ एवं पद्म तथा महापुंडरीक सरोवर से ३-३ नदियाँ निकली हैं।
यह गंगा और सिन्धु नदी विजयार्ध पर्वत को भेदती हुई जाती हैं। अत: भरत क्षेत्र को ६ खण्डों में बाँट देती हैं। विजयार्ध पर्वत के उस तरफ (उत्तर में) अर्थात् हिमवान और विजयार्ध के बीच ३ खण्ड हुए हैं। वे दोनों म्लेच्छ खण्ड कहलाते हैं तथा विजयार्ध के इस तरफ (दक्षिण में) ३ खण्ड हैं। उनमें आजू-बाजू के दो म्लेच्छ खंड और बीच का आर्यखंड है। इन पाँचों म्लेच्छ खण्डों के निवासी जाति, खान-पान अथवा आचरण से म्लेच्छ नहीं हैं किन्तु मात्र वे क्षेत्रज म्लेच्छ हैं।