जब सूर्य मध्यम गली१ में गमन करता है उस समय ताप और तम की परिधि समान होती है। अर्थात्—
उस समय लवण समुद्र के छठे भाग में ताप और तम की परिधि १३१७६१ योजन समान रहती है।
इसी समय बाह्य गली में ताप एवं तम की परिधि ७९५७८ योजन की समान होती है।
इसी समय अभ्यंतर गली में ताप और तम की परिधि ७८७७२ योजन की होती है एवं मेरू की परिधि ताप तथा तम की ७९०५ योजन प्रमाण होती है