जब सूर्य श्रावण कृष्णा १ के दिन प्रथम गली में रहता है तब दक्षिणायन होता है एवं उसी वर्ष माघ कृष्णा ७ को उत्तरायन है। तथैव दूसरी वर्ष—
श्रावण कृष्णा १३ को दक्षिणायन एवं माघ शुक्ला ४ को उत्तरायन होता है। तीसरे वर्ष—श्रावण शुक्ला १० को दक्षिणायन, माघ कृष्णा १ को उत्तरायन। चौथे वर्ष—श्रावण कृष्णा ७ को दक्षिणायन, माघ कृष्णा १३ को उत्तरायन। पांचवें वर्ष—श्रावण शुक्ला ४ को दक्षिणायन, माघ शुक्ला १० को उत्तरायन होता है।
पुन: छठे वर्ष से उपरोक्त व्यवस्था प्रारम्भ हो जाती है अर्थात्—पुन: श्रावण कृष्णा १ के दिन दक्षिणायन एवं माघ कृष्णा ७ को उत्तरायन होता है। इस प्रकार ५ वर्ष में एक युग समाप्त होता है और छठे वर्ष से नया युग प्रारम्भ होता है। इस प्रकार प्रथम वीथी से दक्षिणायन एवं अंतिम वीथी से उत्तरायन होता है।