ये नक्षत्र अपनी एक गली को ५९ मुहूर्त में पूरी करते हैं। अत: प्रथम परिधि ३१५०८९ में ५९ का भाग देने से १ मुहूर्त के गमन क्षेत्र का प्रमाण आ जाता है। यथा—३१५०८९ ´ ५९ मुहूर्त · ५२६५ योजन पर्यन्त पहली गली में रहने वाले प्रत्येक नक्षत्र १ मुहूर्त में गमन करते हैं।
आगे-आगे की गलियों की परिधि में उपर्युक्त इस पूर्ण परिधि के गमन क्षेत्र (५९ मुहूर्त) का भाग देने से मुहूर्त प्रमाण गमन क्षेत्र का प्रमाण आ जाता है।
विशेष—चन्द्र को १ परिधि को पूर्ण करने में ६२ मुहूर्त प्रमाण काल लगता है। उसी वीथी की परिधि को भ्रमण द्वारा पूर्ण करने में सूर्य को ६० मुहूर्त लगते हैं तथा नक्षत्र गणों को उसी परिधि को पूर्ण करने में ५९ मुहूर्त प्रमाण काल लगता है क्योंकि चन्द्रमा मंदगामी है। चन्द्रमा से तेज गति सूर्य की है। सूर्य से अधिक तीव्र गति ग्रहों की है। ग्रहों से भी तीव्र गति नक्षत्रों की एवं इन सबसे तीव्र गति तारागणों की मानी है।