एक लाख योजन व्यास वाले इस जम्बूद्वीप को घेरे हुये वलयाकार २ लाख योजन व्यास वाला लवण समुद्र है। उसका पानी अनाज के ढेर के समान शिखाऊ ऊँचा उठा हुआ है। बीच में गहराई १००० योजन की है। समतल से जल की ऊँचाई अमावस्या के दिन ११००० योजन की रहती है तथा शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से बढ़ते-बढ़ते ऊँचाई पूर्णिमा के दिन १६००० योजन की हो जाती है। पुन: कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से घटते-घटते ऊँचाई क्रमश: अमावस्या के दिन ११००० योजन की रह जाती है।
तट से (किनारे से) ९५ योजन आगे जाने पर गहराई एक योजन की है। इस प्रकार क्रमश: ९५-९५ योजन बढ़ते जाने पर १-१ योजन की गहराई अधिक-अधिक बढ़ती जाती है। इस प्रकार ९५००० योजन जाने पर गहराई १००० योजन की हो जाती है। यही क्रम उस तट से भी जानना चाहिये। इस प्रकार इस लवण समुद्र के बीचों बीच में १०००० योजन तक गहराई १००० योजन की समान है।