इन द्वीपों में रहने वाले मनुष्य, कुभोग भूमियाँ कहलाते हैं। इनकी आयु असंख्यात वर्षों की होती है।
पूर्व दिशा में रहने वाले मनुष्य — एक पैर वाले होते हैं।
पश्चिम दिशा में रहने वाले मनुष्य — पूंछ वाले होते हैं।
दक्षिण दिशा में रहने वाले मनुष्य — सींग वाले होते हैं।
उत्तर दिशा में रहने वाले मनुष्य — गूंगे होते हैं।
एवं विदिशा आदि सम्बन्धी सभी कुभोग भूमियाँ कुत्सित रूप वाले ही होते हैं।ये मनुष्य सुभोग भूमिवत् युगल ही जन्म लेते हैं और युगल ही मरते हैं। इनको शरीर सम्बन्धी कोई कष्ट नहीं होता है। कोई-कोई वहाँ की मधुर मिट्टी का भक्षण करते हैं तथा अन्य मनुष्य वहाँ के वृक्षों के फल-फूल आदि का भक्षण करते हैं। उनका कुरूप होना कुपात्र दान का फल है।