मध्यलोक में पूर्व-पश्चिम दिशा की चौड़ाई १ राजू, आगे ब्रह्म स्वर्ग के पास ५ राजू, दोनों को मिलाने से १±५·६ राजू हुए। इसे आधा करके ६´२·३, दक्षिण-उत्तर की मोटाई ७ राजू से गुणा करके ३²७·२१ हुए, इसमें ब्रह्मस्वर्ग तक की ऊँचाई ३-१/२ राजू का गुणा करके २१²३-१/२·७३-१/२ राजू हुए। यह मध्यलोक से ब्रह्म स्वर्ग तक का घनफल है और इतना ही ब्रह्मस्वर्ग से आगे लोक के अन्त का घनफल है, अत: ७३-१/२ ± ७३-१/२·१४७ राजू प्रमाण संपूर्ण ऊर्ध्व लोक का घनफल हुआ है।
अधोलोक का घनफल १९६ और ऊर्ध्वलोक का १४७ राजू है। दोनों को मिला देने से १९६±१४७·३४३ राजू प्रमाण सारे लोक का घनफल होता है।
इस प्रकार लोकाकाश का घनफल ३४३ राजू प्रमाण है।