रत्नप्रभा — १ लाख ८० हजार योजन शर्कराप्रभा — ३२००० योजन
वालुकाप्रभा — २८००० योजन
पंकप्रभा — २४००० योजन
धूमप्रभा — २०००० योजन
तम: प्रभा — १६००० योजन
महातम:प्रभा — ८००० योजन
ये सातों ही पृथ्वियाँ ऊर्ध्व दिशा को छोड़ शेष ९ दिशाओं में घनोदधि वातवलय से लगी हुई हैं, परन्तु आठवीं मोक्षपृथ्वी दशों दिशाओं में ही घनोदधि वातवलय को छूती है।