पहले ‘सीमन्तक’ नामक इंद्रक बिल की चारों दिशाओं में उनचास-उनचास और चारों विदिशाओं में ४८-४८ श्रेणीबद्ध बिल हैं। ‘सीमन्तक’ इंद्रक संबंधी श्रेणीबद्ध बिलों का प्रमाण ३८८ है। दिशा संबंधी ४९ को ४ से गुणा एवं विदिशा संबंधी ४८ को ४ से गुणा करने पर ४९²४·१९६, ४८²४·१९२। १९६±१९२·३८८ होता है।
इससे आगे दूसरे निरय आदि इन्द्रक बिलों के आश्रित रहने वाले श्रेणीबद्ध बिलों में से एक-एक बिल कम होता जाता है। इसी प्रकार प्रथम पृथ्वी संबंधी इंद्रक व श्रेणीबद्ध बिलों का प्रमाण ४४३३ है। सम्पूर्ण-सातों पृथ्वियों में कुल ९६५३ इंद्रक व श्रेणीबद्ध बिल हैं। यथा-