रत्नप्रभा आदिक प्रत्येक पृथ्वी के सम्पूर्ण बिलों की संख्या को रखकर उनमें से अपने-अपने इंद्रक और श्रेणीबद्ध बिलों की संख्या को घटा देने पर उस-उस पृथ्वी के प्रकीर्णक बिलों का प्रमाण होता है।
यथा-
प्रथम पृथ्वी के समस्त बिल-३०,००००० हैं,
३००००००-(१३±४४२०)·२९९५५६७
उन्तीस लाख, पंचानवे हजार, पाँच सौ सरसठ प्रकीर्णक बिल हैं। ऐसे ही सभी नरकों के बिलों का प्रमाण निकाल लेना चाहिए।