संख्यात योजन विस्तार वाले नारकियों के बिलों में तिरछे रूप में जघन्य अंतराल ६ कोस और उत्कृष्ट अंतराल १२ कोस प्रमाण है।
असंख्यात योजन विस्तार वाले बिलों में जघन्य अंतराल ७००० योजन और उत्कृष्ट अंतराल असंख्यात योजन प्रमाण है।
पूर्वोक्त प्रकीर्णक बिलों में से असंख्यात योजन विस्तार वाले बिल अधिक हैं और संख्यात योजन वाले बिल थोड़े ही हैं। ये सब बिल अहोरात्र अंधकार से व्याप्त हैं।
संख्यात योजन प्रमाण वाले बिलों में नियम से संख्यातों नारकी जीव तथा असंख्यात योजन प्रमाण वाले बिलों में असंख्यातों नारकी जीव रहते हैं।
प्रथम इंद्रक का विस्तार पैंतालीस लाख योजन और अंतिम इंद्रक का विस्तार १ लाख योजन है। दूसरे इंद्रक से लेकर ४८ वें इंद्रक तक का प्रमाण तिलोयपण्णत्ति से समझ लेना चाहिए।