इंद्रक, श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक बिलों में ऊपर के भाग में (छत में) अनेक प्रकार के तलवारों से युक्त अर्धवृत्त और अधोमुख वाले जन्म स्थान हैं।
ये जन्म स्थान घम्मा, वंशा और मेघा नाम की तीसरी पृथ्वी तक उष्ट्रिका, कोथली, कुंभी, मुद्गलिका, मुद्गर और नाली के समान हैं।
चौथी और पांचवीं पृथ्वी में जन्मभूमियों के आकार गाय, हाथी, घोड़ा, भस्त्रा, अब्जपुट, अम्बरीष और द्रोणी (नाव) जैसे हैं।
छठी और सातवीं पृथ्वी की जन्म भूमियाँ झालर, द्वीपी, चक्रवाक, शृगाल, गधा, बकरा, ऊँट और रीछ के सदृश आकार वाली हैं।
्नाारकियों की ये सभी जन्म भूमियां अंत में करोंत के सदृश चारों तरफ से गोल और भयंकर हैंं। इन नरकों में बकरी, हाथी, भैंस, घोड़ा, गधा, ऊँट, बिलाव और मेढ़े आदि के सड़े-गले शरीरों के दुर्गंध की अपेक्षा अनंतगुणी अधिक दुर्गंध है।