जो मद्य पीते हैं, माँस की अभिलाषा करते हैं, जीवों का घात करते हैं, शिकार करते हैं, क्षणमात्र के इंद्रिय सुख के लिए पाप उत्पन्न करते हैं, क्रोध, मान, माया, लोभ आदि के वशीभूत होकर असत्य वचन बोलते हैं, काम से उन्मत्त जवानी में मस्त परस्त्री में आसक्त होकर जीव नरकों में चिरकाल तक नपुंसक वेदी होते हैं और अनंत दु:खों को प्राप्त करते हैं।