किन्नर, किंपुरुष, महोरग, गंधर्व, यक्ष, राक्षस, भूत और पिशाच ये ८ भेद हैं।
चित्रा भूमि से नीचे १ हजार योजन जाकर राक्षस जाति के व्यन्तर देवों को छोड़कर बाकी ७ प्रकार के व्यंतर देवों के आवास स्थान हैं। चित्रा पृथ्वी से २ हजार योजन नीचे जाकर असुरकुमार जाति के भवनवासी देवों को छोड़कर शेष ९ प्रकार के भवनवासी देवों के आवास स्थान हैं, जो कि अल्प ऋद्धिधारियों के हैं। ४२ हजार योजन नीचे जाकर महाऋद्धि के धारक भवनवासी देवों के स्थान एवं १ लाख योजन जाकर मध्यम ऋद्धि के धारक भवनवासियों के भवन हैं।
रत्नप्रभा के पंकभाग नाम के द्वितीय भाग में असुरकुमार जाति के भवनवासी एवं राक्षस जाति के व्यंतरों के आवास स्थान हैं।