इन देवों के निवास स्थान के भवन, भवनपुर और आवास के भेद से ३ भेद हैं।
रत्नप्रभा पृथ्वी में स्थित निवास स्थानों को भवन, द्वीप-समुद्रों के ऊपर स्थित निवास स्थानों को भवनपुर और रमणीय तालाब, पर्वत तथा वृक्षादिक के ऊपर स्थित निवास स्थानों को आवास कहते हैं।
नागकुमार आदि देवों में से किन्हीं के तो भवन, भवनपुर और आवास रूप तीनों ही तरह के निवास स्थान होते हैं परन्तु असुरकुमारों के केवल एक भवनरूप ही निवास स्थान होते हैं।
इनमें अल्पऋद्धि, महाऋद्धि और मध्यमऋद्धि के धारक भवनवासियों के भवन क्रमश: चित्रा पृथ्वी के नीचे-नीचे दो हजार, ब्यालीस हजार और एक लाख योजन पर्यन्त जाकर हैं।