जो मनुष्य शंकादि दोषों से युक्त हैं, क्लेशभाव और मिथ्यात्व भाव से युक्त चारित्र को धारण करते हैं, कलहप्रिय, अविनयी, जिनसूत्र से बहिर्भूत, तीर्थंकर और संघ की आसादना करने वाले, कुमार्गगामी एवं कुतप करने वाले तापसी आदि इन भवनवासी देवों में जन्म लेते हैं।