विजयार्ध पर्वत का मूल में विस्तार पचास योजन है। इसको भरत क्षेत्र के विस्तार में से कम करके शेष का आधा दक्षिण भरत एवं उत्तर भरत का विस्तार होता है। दक्षिण भरत का विस्तार दो सौ अड़तीस योजन और एक योजन के उन्नीस भागों में से तीन भाग प्रमाण है। इसी के सदृश विस्तार वाला उत्तर भरत है। यथा-