पर्वत पर पूर्व दिशा से लेकर क्रमश: सिद्धकूट, हिमवान् कूट, भरत, इला, गंगा, श्री, रोहितास्या, सिन्धु, सुरा, हैमवत, और वैश्रवण ये ११ कूट हैं।
इनमें से प्रत्येक कूट की ऊँचाई और मूल में विस्तार पच्चीस योजन है। ऊपर का विस्तार १२-१/२ योजन है। और मध्य में विस्तार १८ योजन ३ कोस है। ये ११ कूट समान गोल, वेदियों से रमणीय और व्यंतरों के भवनों से रमणीय हैं एवं पूर्व दिशा के सिद्धकूट पर जिनभवन है।