हैमवत्, भरत, हिमवान् और वैश्रवण नाम के कूटों पर अपने-अपने कूटों के नाम वाले देव तथा शेष कूटों पर अपने-अपने कूटों के नाम वाली देवियाँ रहती हैं यथा-
सिद्धकूट – जिन भवन
हिमवान् – हिमवान् देव का भवन।
भरत – भरतदेव
हैमवत् – हैमवत देव
वैश्रवण – वैश्रवण देव
इला – इला देवी
गंगा – गंगा देवी
श्री कूट – श्री देवी
रोहितास्याकूट – रोहितास्या देवी
सिन्धु कूट – सिन्धु देवी
सुरा कूट – सुरा देवी
इन कूटों पर बहुत से परिवार देवों से सहित जो देव-देवियाँ स्थित हैं वे सौधर्म इंद्र के परिवार स्वरूप हैं। इन देव-देवियों के शरीर की अवगाहना दस धनुष प्रमाण है। इन व्यंतर देव-देवियों के भवन रत्नमय हैं। भवनों का विस्तार ३१ योजन १ कोस और ऊँचाई ६२ योजन २ कोस प्रमाण है।
दस कूटों के शिखरों पर प्राकार, बलभी-छज्जा, गोपुर और धवल निर्मल वेदिकाओं से व्याप्त देवों के नगर हैं। ये नगर लहराती हुई ध्वजा पताकाओं से सहित, गोपुर द्वारों से शोभित, विशाल एवं उत्तम वङ्कामय कपाटों से युक्त, उपवन, पुष्करिणी एवं वापिकाओं से रमणीय हैं। इन नगरों में से कितने ही नगर तुषार, चंद्र किरण एवं हार के सदृश, कितने ही विकसित चंपक जैसे वर्ण वाले, कितने ही नील व रक्त कमल के सदृश वर्ण वाले हैं।
ये नगर वङ्कामणि, इंद्रनीलमणि, मरकत मणि, कर्वेâतन और पद्मराग मणियों से परिपूर्ण तथा जिन भवनों से सनाथ हैं-सहित हैं।