रम्यक भोग भूमि के उत्तर में रुक्मि पर्वत है। इसका संपूर्ण वर्णन महाहिमवान् के सदृश है। विशेष इतना है कि यहाँ उन पर कूट, द्रह और देवियों के नाम भिन्न हैं। सिद्ध, रुक्मि, रम्यक, नरकांता, बुद्धि, रुप्यकूला, हैरण्यवत और मणिकांचन ये आठ कूट रुक्मि पर्वत पर हैं।इनमें से प्रथम कूट पर जिन मंदिर और शेष कूटों पर व्यंतर देवों के प्रासाद हैंं। ये देव अपने कूटों के नाम से विख्यात हैं। रुक्मि पर्वत के बहुमध्य में फूले हुये कमलों से सहित तिगिंच्छ द्रह के समान ‘पुंडरीक’ द्रह है। इस द्रह के मध्य कमल में ‘बुद्धि’ देवी निवास करती है इसका परिवार कीर्ति देवी की अपेक्षा आधा अर्थात् २८०२३० संख्या प्रमाण है। यह भी ईशानेंद्र की देवी दश धनुष शरीर वाली एवं एक पल्य प्रमाण आयु वाली है। इस सरोवर के दक्षिण भाग से नारी नदी निकल कर रम्यक क्षेत्र में गई है।