इस क्षेत्र के उत्तर भाग में ‘शिखरी’ नामक अंतिम कुल पर्वत है इसका वर्णन हिमवन् के सदृश है। विशेष यही है कि यहाँ कूट, द्रह, देव, देवी और नदियों के नाम भिन्न हैं। इस पर्वत पर प्रथम सिद्धकूट, शिखरी, हैरण्यवत, रसदेवी, रक्ता, लक्ष्मी, काँचन, रक्तवती, गंधवती, ऐरावत और मणिकांचन ये ११ कूट हैं। इन ११ कूटों की ऊँचाई पच्चीस योजन प्रमाण है। इनमें प्रथम कूट में जिनेन्द्र भवन, शेष कूटों पर कूटों के नाम वाले व्यंतर देव देवियों के आवास हैं। इस शिखरी पर्वत के मध्य में ‘महापुंडरीक’ नामक दिव्य सरोवर है। इसके कमल भवन में ‘श्रीदेवी’ के सदृश ‘लक्ष्मी’ देवी निवास करती है वह ईशानेंद्र की देवी है। इस सरोवर के दक्षिण तोरण द्वार से निकल कर सुवर्णकूला नदी हैरण्यवत क्षेत्र में चली गई है।