ऊँचाई आदि घटते-घटते तृतीय काल प्रवेश करता है उस समय यहाँ पर जघन्य भोग भूमि की व्यवस्था रहती है। मनुष्यों के शरीर की ऊँचाई एक कोस, आयु एक पल्य है एवं हड्डियाँ चौसठ होती हैं। इस काल में उत्तम संहनन आदि से युक्त मनुष्य एक दिन के अंतराल से आंवले के बराबर अमृतमय आहार लेते हैं। इस काल में उत्पन्न हुये बाल युगल अंगूठा चूस्नो में सात दिन, बैठने में सात दिन आदि से ४९ दिन में सम्यक्त्व ग्रहण की योग्यता प्राप्त कर लेते हैं। इन भोग भूमियों में शत्रु आदि की बाधायें, असि मषि आदि षट्कर्म, प्रचंडशीत, उष्ण आदि बाधायें नहीं होती हैं। वहाँ के जीव संयम, देश संयम को ग्रहण नहीं कर सकते हैं।