जम्बूद्वीप में तीन सौ ग्यारह पर्वत हैं। उनकी उतनी ही मणिमयी वेदी हैं अर्थात् ६ कुलाचल, ३४ विजयार्ध १६ वक्षार और ४ गजदंत। इन पर्वतों के दोनों पार्श्व भागों में मणिमयी वेदी हैं बाकी के कांचनगिरि, यमकगिरि, आदि पर्वत गोल हैं अत: इनके चारों तरफ वेदी हैं। छब्बीस सरोवर हैं उनकी उतनी ही मणिमयी वेदी हैं। नब्बे कुण्ड हैं उनकी उतनी ही मणिमयी वेदी हैं। जम्बूद्वीप की सभी नदियाँ १७९२०९० हैं इनके दोनों पार्श्वभागों में वेदी होने से इन्हें दूना करने से ३५८४१८० वेदियाँ हैं। पर्वतों के मूल में अर्थात् वेदी के अंदर तलहटी में वन खंड हैं एवं पर्वतों के शिखर पर वेदी से वेष्टित वन खंड हैं। सरोवरों के कुण्डों के चारों तरफ वेदी से वेष्टित वन खंड हैं। कुलाचल, विजयार्ध, वक्षार और गजदंत इनकी लम्बाई का जितना प्रमाण है उतनी लंबाई प्रमाण उपर्युक्त वेदी से वेष्टित १/२ योजन चौड़े वन खंड हैं। नदियों के दोनों पार्श्व भाग में नदी के दूने प्रमाण वनखंड हैं। सर्वत्र वनखंड की वेदी पाँच सौ धनुष चौड़ी एवं दो कोस ऊँची है। सर्वत्र वनखंड १/२ योजन चौड़े हैं। जैसे उद्यान के चारों तरफ बिना कंगूरे के भित्ति रहती है वैसे ही यहाँ वेदियों का आकार समझना।