भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत और ऐरावत ये मुख्य सात क्षेत्र हैं। इनमें भरत का विस्तार ५२६-६/१९ योजन है आगे-आगे चौगुणे-चौगुणे हैं। विदेह के आगे की व्यवस्था दक्षिण के सदृश है। हैमवत हैरण्यवत में जघन्य भोगभूमि, हरि, रम्यक में मध्यम भोगभूमि एवं विदेह के देवकुरु उत्तरकुरु में उत्तम भोगभूमि है। भरत ऐरावत और विदेह में कर्म-भूमि व्यवस्था है। विजयार्ध, गंगा सिन्धु और रक्ता-रक्तोदा के निमित्त से इनमें छह-छह खंड हो गये हैं इनमें मध्य में आर्य खंड एवं शेष पाँच म्लेच्छ खंड हैं।