विदिशाओं में भी इनके समान चार पाताल हैं उनका मुख विस्तार और मूल विस्तार १००० योजन तथा मध्य में और ऊँचाई (गहराई) में १०००० योजन है, इनकी वङ्कामय भित्ति ५० योजन प्रमाण हैंंं। इन पातालों के उपरिम तृतीय भाग में जल, नीचे के तृतीय भाग में वायु, मध्य के तृतीय भाग में जल और वायु दोनों रहते हैं। पातालों की गहराई -ऊँचाई १०००० योजन है १००००´३·३३३३-१/३ पातालों का तृतीय भाग तीन हजार तीन सौ तैंतीस से कुछ अधिक है। इनमें प्रतिदिन होने वाली जलवायु की हानि वृद्धि का प्रमाण २२२-२/९ योजन प्रमाण है।