लवण समुद्र के बाह्य भाग में ७२००० बहत्तर हजार, शिखर पर २८००० और अभ्यन्तर भाग में ४२००० नगर अवस्थित हैं। समुद्र के अभ्यन्तर भाग की बेला की रक्षा करने वाले वेलंधर नागकुमार देवों के नगर ४२००० हैं। जल शिखा को धारण करने वाले नागकुमार देवों के २८००० नगर हैं एवं समुद्र के बाह्य भाग की रक्षा करने वाले नागकुमार देवों के ७२००० नगर हैं।
ये नगर दोनों तटों से ७०० योजन जाकर तथा शिखर से ७००-१/२ योजन जाकर आकाश तल में स्थित हैं। इनका विस्तार १०००० योजन प्रमाण है। नगरियों के तट उत्तम रत्नों से निर्मित समान गोल हैं। प्रत्येक नगरियों में ध्वजाओं, तोरणों से सहित दिव्य तटवेदियाँ हैं। उन नगरियों में उत्तम वैभव से सहित वेलंधर और देवों के प्रासाद स्थित हैं। जिन मंदिरों से रमणीय, वापिका उपवनों से सहित इन नगरियों का वर्णन बहुत ही सुंदर है ये नगरियाँ अनादि निधन हैं।