जम्बूद्वीप की जगती से ब्यालीस हजार योजन जाकर ‘सूर्यद्वीप’ नाम से प्रसिद्ध आठ द्वीप हैं। ये द्वीप पूर्व में कहे हुए कौस्तुभ आदि पर्वतों के दोनों पार्श्व भागों में स्थित होकर निकले हुये मणिमय दीपकों से युक्त शोभायमान हैं। त्रिलोकसार में १६ ‘चंद्रद्वीप’ भी माने गये हैं। यथा-अभ्यंतर तट और बाह्य तट दोनों तटों से ४२००० योजन छोड़कर चारों विदिशाओं के दोनों पार्श्व भागों में दो-दो, ऐसे आठ ‘सूर्यद्वीप’ हैं और दिशा-विदिशा के बीच में जो आठ अंतर दिखायें हैं उनके दोनों पार्श्वभागों में दो-दो, ऐसे १६ ‘चन्द्रद्वीप’ नामक द्वीप हैं। ये सब द्वीप ४२००० योजन व्यास वाले और गोल आकार वाले हैं। यहाँ द्वीप से ‘टापू’ को समझना।