भरत क्षेत्र का अभ्यंतर विस्तार ६६१४-१२९/२१२ मध्य, १२५८१-३६/२१२ बाह्य १८५४७-१५५/२१२ योजन है आगे विदेह क्षेत्र के क्षेत्रों का विस्तार इससे चौगुना होता गया है। उपर्युक्त पर्वतों पर पद्म, महापद्म आदि सरोवर हैं जो जम्बूद्वीप की अपेक्षा दूने विस्तार वाले हैं उनसे निकलने वाली चौदह नदियाँ इन सात क्षेत्रों में उन्हीं गंगा, सिंधु आदि के नाम से बहने वाली हैं इन नदी, कुण्ड, पद्म सरोवर आदि का विस्तार दूना-दूना है, किन्तु अवगाह जम्बूद्वीप के तालाब आदि के समान है।
विजयार्ध पर्वत, चैत्यवृक्ष, वृषभांचल, नाभिगिरि, यमकपर्वत, दिग्गजपर्वत, कांचनपर्वत, वक्षार, वेदिका आदि ये सब ऊँचाई, विस्तार तथा अवगाह की अपेक्षा तीनों द्वीपों में समान हैं सभी कुण्डों के चारों तरफ १/२ योजन ऊँची, ५००० धनुष विस्तृत रत्नमय तोरणों से सहित दिव्य वेदीकायें हैं। इस द्वीप का शेष सभी वर्णन जम्बूद्वीप के समान है।