सौधर्म, ईशान, सानत्कुमार, माहेन्द्र, बह्म, ब्रह्मोत्तर, लांतव, कापिष्ठ, शुक्र, महाशुक्र, शतार, सहस्रार, आनत, प्राणत, आरण, अच्युत ये १६ स्वर्ग हैं। इनमें से मध्य के ८ स्वर्गों में से दो-दो स्वर्गों के एक-एक इंंद्र हैं। इसलिये बारह इंद्र होते हैंं। इन बारह इंद्रों की अपेक्षा १२ कल्प होते हैं।