स्वर्गनाम प्रस्तार संख्या प्रस्तार के नाम
सौधर्म, ईशान ३१ ऋतु, विमल, चंद्र, वल्गु, वीर, अरुण, नंदन, नलिन, कंचन, रोहित, चंच, मरुत, ऋद्वीश, वैडूर्य, रुचक, रुचिर, अंक,
स्फटिक, तपनीय, मेघ, अभ्र,हारिद्र, पद्म, लोहित, वङ्का, नंद्यावर्त, प्रभाकर, पृष्ठक, गज, मित्र और प्रभा।
सानत्कुमार युगल ७ अंजन, वनमाल, नाग, गरुड़, लागंल, बलभद्र और चक्र।
ब्रह्म युगल ४ अरिष्ट देवसमिति, ब्रह्म, बह्मोत्तर।
लांतव युगल २ ब्रह्महृदय, लांतवकल्प
महाशुक्र युगल १ शुक्र (महाशुक्र)
सहस्रार युगल १ शतार (सहस्रार)
आनत दो युगल ६ आनत, प्राणत, पुष्पक, शातंकर, आरण, अच्युत
अधनस्तन ग्रै. ३ ३ सुदर्शन, अमोघ, सुप्रबुद्ध।
मध्य. ग्रै. ३ ३ यशोधर, सुभद्र, सुविशाल।
उपरिम ग्रै. ३ ३ सुमनस, सौमनस, प्रीतिंकर।
अनुदिश ९ १ आदित्य
अनुत्तर ५ १ सर्वार्थसिद्धि।
३१±७±४±२±१±१±६±३±३±३±१±१·६३ इंद्रक विमान हैं।
स्वर्गों के नाम श्रेणीबद्ध प्रकीर्णक
सौधर्म ४३७१ ३१९५५९८
ईशान १४५७ २७९८५४३
सानत्कुमार ५८८ ११९९४०५
माहेन्द्र १९६ ७९९८०४
ब्रह्म युगल ३६० ३९९६३६
लांतव युगल १५६ ४९८४२
शुक्र युगल ७२ ३९९२७
शतार युगल ६८ ५९३१
आनतादि दो युगल ३२४ ३७०
३ अधो ग्रैवेयक १०८ ०
३ मध्य ग्रैवेयक ७२ ३२
३ उपरिम ग्रैवेयक ३६ ५२
९ अनुदिश ४ ४
५ अनुत्तर ४ ०
सौधर्म स्वर्ग में इंद्रक विमान ३१, श्रेणीबद्ध ४३७१ प्रकीर्णक ३१९५५९८ इन तीनों का जोड़ देने से पूर्वोक्त सौधर्म के ३२००००० विमान हो जाते हैं। अर्थात् ३१±४३७१±३१९५५९८·३२००००० हुए। ऐसे ही सर्वत्र इंद्रक श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक की संख्या जोड़ देने से उन-उन कल्प संबंधी विमानों की संख्या हो जाती है।