सभी इंद्रक और श्रेणीबद्ध विमान गोल हैं दिव्य रत्नों से निर्मित ध्वजा तोरणों से सुशोभित हैं। इनके अंतराल में विदिशाओं में पुष्पों के सदृश रत्नमय उत्तम प्रकीर्णक विमान हैं। इंद्रकों का विस्तार कह दिया है। सभी श्रेणीबद्ध विमान असंख्यात योजन विस्तार वाले हैं और असंख्यात योजन प्रमाण ही इनका तिरछा अंतराल है। सब प्रकीर्णक विमानों का विस्तार संख्यात व असंख्यात योजन प्रमाण है और इतना ही उसमें अंतराल भी है। इन विमानों की मोटाई और वर्ण का प्रकरण आगे दिखाते हैं।
इंद्रक, श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक इन तीन प्रकारों के विमानों के उपरिम व तल भागों में रमणीय एक-एक तट वेदी है यह वेदी मार्ग, गोपुर द्वार, तोरणों से सुशोभित ध्वजा पताकाओं से अत्यंत रमणीय है।