अंतिम ‘प्रभ’ इंद्रक की उत्तर दिशा में जो अठारहवाँ श्रेणीबद्ध विमान है उसमें ‘ईशान इंद्र’ रहता है। उसका प्रासाद प्रमाण में सौधर्म इंद्र के समान है उसके नगर का विस्तार ८०००० योजन तथा वल्लभा का नाम ‘हेममाला’ है।