सानत्कुमार युगल के ७ इंद्रकों में अंतिम का नाम चक्र है इस चक्र इंद्रक के दक्षिण में स्थित सोलहवें श्रेणीबद्ध विमान में ‘सानत्कुमार इंद्र’ रहता है। दक्षिण में असंख्यात योजन जाकर उसका ७२००० योजन विस्तृत नगर है। इस नगर का प्राकार जड़ में २५ योजन एवं २५ योजन विस्तृत २५० योजन ऊँचा है। उसकी प्रत्येक दिशा में ३०० गोपुर द्वार हैं। उनका विस्तार ९० योजन, ऊँचाई ३०० योजन है। वहाँ इंद्र का प्रासाद ५० योजन अवगाह से सहित, १०० योजन विस्तृत, ५०० योजन ऊँचा है। इस इंद्र की ७२००० देवियाँ हैं उनमें आठ अग्रदेवियाँ हैं। वल्लभा देवी का नाम ‘कनक प्रभा’ है। देवियों के प्रासाद ९० योजन विस्तृत, ४५ योजन जड़ से सहित ४५० योजन ऊॅँचे हैं। ये प्रासाद उस इंद्र प्रासाद के चारों ओर हैं।