सब देवियाँ सौधर्म, ईशान कल्प में ही उत्पन्न होती हैं आगे के कल्पों में नहीं, दक्षिण इंद्र संबंधी देवियों के सौधर्म कल्प में ६००००० विमान हैं एवं उत्तर इंद्र संबंधी देवियों के ईशान कल्प में ४००००० विमान हैं। इन कल्पों में उत्पन्न हुई देवियों को अपने-अपने अवधिज्ञान से जानकर वे देव अपनी-अपनी देवियों को ले जाते हैं।
सौधर्म कल्प में २६००००० विमान एवं ईशान कल्प में २४००००० हैं जिनमें देव और देवी दोनों ही उत्पन्न होते हैं।