प्रथम दो कल्पों की देवियों की जघन्य आयु १ पल्य से कुछ अधिक है उत्कृष्ट आयु सौधर्म में ५ पल्य, ईशान में ७ पल्य है, सा.में ९, मा.११, ब्रह्म में १३, ब्रह्मोत्तर १५, ला में १७, का. में १९, शुक्र में २१, महाशुक्र में २३, शतार में २५, सह. में २७, आनत में ३४, प्राणत में ४१, आरण में ४८, अच्युत में ५५ पल्य प्रमाण है। पूर्व-पूर्व की उत्कृष्ट आयु आगे-आगे के लिये जघन्य आयु बन जाती है। यथा ईशान की उत्कृष्ट आयु ७ पल्य है वही सानत्कुमार में जघन्य है।