जिनदेव और धनदेव दो व्यापारियों ने यह निर्णय किया कि परदेश में धन कमाकर पुनः आधा-आधा बांट लेंगे। बाद में अधिक धन देखकर जिनदेव झूठ बोल गया। तब राजा ने न्याय करके सत्यवादी धनदेव को सारी सम्पत्ति दे दी और सभा में उसका सम्मान किया तथा जिनदेव को अपमानित करके देश से निकाल दिया। इसलिए हमेशा सत्य बोलना चाहिए।