सोने के आभूषण की प्रकृति गर्म हैं तथा चाँदी की प्रकृति शीतल है, यही कारण है कि सोने के गहने नाभि से ऊपर और चाँदी के गहने नाभि के नीचे पहनने चाहिए। सोने के आभूषणों से उत्पन्न हुई बिजली पैरों में तथा चाँदी के आभूषणों से उत्पन्न होने वाली ठंडक सिर में चली जायेगी, क्योंकि सर्दी, गर्मी को खींच लिया करती है। इस तरह से सिर को ठंडा व पैरो को गर्म रखने के मूल्यवान चिकित्सकीय नियम का पूर्ण पालन हो जाएगा” इसके विपरीत करने वालों को शारीरिक एवं मानसिक बीमारियां होती हैं” जो स्त्रियाँ सोने के पतरे का खोल बनवाकर भीतर चाँदी, तांबा या जस्ते की धातुएँ भरवाकर कड़े, हंसली आदि आभूषण धारण करती हैं, वे हकीकत में तो बहुत बड़ी त्रुटि करती हैं, वे सरे आम रोगों को एवं विकृतियों को आमंत्रित करती हैं। सदैव टाँका रहित आभूषण पहनने चाहिए। यदि टाँका हो तो उसी धातु का होना चाहिए, जिससे गहना बना हो। माँग में सिंदूर भरने से मस्तिष्क सम्बन्धी क्रियाएं विकार नष्ट होते हैं। पुत्र की कामना वाली स्त्रियों को हीरा नहीं पहनना चाहिए। ऋतु के अनुसार टोपी और पगड़ी पहनना स्वास्थ्य रक्षक है। घुमावदार टोपियाँ अधिक उपयुक्त होती हैंं।