१. मंत्रों में जो महामंत्र है, सुख पाने का एक यंत्र है। उसी मंत्र का नाम बताओ, शुद्ध बोलकर हमें सुनाओ।। उत्तर — णमोकार महामंत्र । जो इस प्रकार है णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं, णमो उवज्झायाणां, णमो लोए सव्व साहूणं।
२. अर्हत् सिद्धाचार्य उपाध्याय, साधु जी को हम नित ध्याँय। सहीं मूलगुण सबके बोलो, कर्म काट मुक्ती पट खोलो।। उत्तर—अरिहंत परमेष्ठी ४६ सिद्ध परमेष्ठी ८ आचार्य परमेष्ठी ३६ उपाध्याय परमेष्ठी २५ साधु परमेष्ठी २८
३. रामचन्द्र की जीवन गाथा, पढ़े सुने जो शिव सुख पाता । पद्म पुराण ग्रन्थ पथदाता, किसने रचा बताओ भ्राता।। उत्तर— श्री रविषेण आचार्य।
४. उमास्वामी मुनिवर की रचना, दशाध्याय पढ़ पाप से बचना। कुल सूत्रों की गणना गाओ, तथा ग्रन्थ नाम बताअो ।। उत्तर— ग्रन्थ का नाम तत्वार्थसूत्र कुल सूत्र ३५७
५. फूल गुलाब का कितना प्यारा, कोमल तन है गंध निराला। कैसे उसका ज्ञान है होता, नाम बता क्यों मौका खोता।। उत्तर— कितना प्यारा चक्षु इन्द्रिय से कोमल तन स्पर्शन इन्द्रिय से निराली गंध घ्राण इन्द्रिय से
६. शान्तिसागराचार्य हमारे, भोज ग्राम में जन्म है धारे । बालपने का नाम बताओं, उन जैसा तुम भी बन जाओ।। उत्तर—सातगौंडा।
७. णमोकार है सबसे प्यारा, सब मंत्रों में सबसे न्यारा । भाषा और छन्द बतलाओ, रचा किन्होंने नाम बताओ।। उत्तर— णमोकार मंत्र भाषा प्राकृत छन्द आर्या किन्होंने अनादिनिधन है।
८. जिन्हें सभी हैं शीश नवाते, परमेष्ठी हैं वे कहलाते। कितने होते नाम बताएं, सदा शरण में इनकी जाएं।। उत्तर—परमेष्ठी पाँच होते हैं — अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु ।
९. बालयति तीर्थंकर प्यारे, शौरीपुर में जन्म है धारे। नाम कौन सा इन्द्र पुकारे, सही बताओ जग के तारे।। उत्तर— अरिष्ट नेमि।
१०. धीर वीर हैं पाण्डव भाई, संख्या पाँच उन्हीं की गाई। किनने मोक्ष कहाँ से पाया, सही बताओ मेरे भाया उत्तर— युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन ने शत्रुंजय (पालिताणा) से।
११. चाचा थे जिनके नारायण,युद्ध कला में वे पारायण ।
युगल भाई के नाम बताओ, नाम जपो तुम पुण्य कमाओ।। उत्तर— अनंग लवण व मदनांकुश अथवा लवकुश।
१२. चतुर्णिकायों के सुर आते, अष्टाह्निक का पर्व मनाते। उसी द्वीप का नाम बताओ, जिन प्रतिमा की महिमा गाओ।। उत्तर— आठवाँ नन्दीश्वर द्वीप महिमा— ५२ अकृत्रिम चैत्यालय, प्रत्येक चैत्यालय में ५०० धनुष उँची प्रमाणवाली पद्मासन विराजित १०८—१०८ जिन प्रतिमा है।
१३. श्रीमति जी के राजदुलारे, विद्यासागर जग से न्यारे। कहो कहाँ कब जन्में गुरुवर, मल्लप्पा जी भक्त जिनेश्वर।। उत्तर— विद्यासागर का जन्म स्थान ग्राम सदलगा जिला बेलगाँव, कर्नाटक कब अश्विन शुक्ला पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) वि.सं. २००३, १० अक्टूबर सन् १९४६ ।
१४. कलिकाल सर्वज्ञ कहाते, सुर भी जिनकी महिमा गाते। उन गुरुवर का नाम बताओ, शीश नवाकर पुण्य कमाओ।। उत्तर— आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी ।
१५. ओमकार है दुख का हरता, भव्य जनों को शिव में धरता। रचना इसकी कैसे होती, सत्य बताओ जय—जय होती।। उत्तर— अरिहन्त का प्रथम अक्षर अ सिद्ध यानि अशरीरी का प्रथम अक्षर अ आचार्य का प्रथम अक्षर आ उपाध्याय का प्रथम अक्षर उ साधु यानि मुनि का प्रथम अक्षर म = ॐ
१६. जिनपूजा है दुख की नाशा, इससे मिटती जग की आशा। अष्ट द्रव्य के नाम बताकर , पूजा करना तुम नित आकर।। उत्तर—अष्टद्रव्य के नाम १ जल २ चन्दन ३ अक्षत ४ पुष्प ५ नैवेद्य ६ दीप ७ धूप ८ फल।
१७. कौशल्या के राज दुलारे, सीता जी को सबसे प्यारे। कौन कहाँ से मोक्ष पधारे, नाम बताओ वरना हारे।। उत्तर—श्री रामचन्द्र, तुंगीगिरी (मांगीतुंगी) से मोक्ष पधारे।
१८. विद्या गुरुवर के जो गुरुवर, गुरु के, गुरु के, गुरु के गुरुवर। पंचाचार्य सभी के पालक, नाम बताओ उनका बालक।। उत्तर—पाँच गुरुपरम्परा के आचार्य १. आचार्य श्री शान्तिसागर जी दक्षिण २. आचार्य श्री वीरसागर जी ३. आचार्य श्री शिवसागर जी ४. आचार्य श्री ज्ञानसागर जी ५. आचार्य श्री विद्यासागर जी।
१९. समयसार छोटा कहलाता , मुक्ति महल का पथ दिखलाता। कवि का नाम बताओ भईया, छहढाला तो नाव खिवैया ।। उत्तर— पं. दौलतराम जी ।
२०. सम्यग्दृष्टि वो कहलाता, सात तत्व जो उर में लाता। इन तत्वों के नाम बताओं, कर्म काट मुक्ति पा जाओं।। उत्तर—सात तत्व— १ जीव २ अजीव ३ आस्रव ४ बन्ध ५ संवर ६ निर्जरा ७ मोक्ष ।
२१. विषयों को जो चखकर जाने, रसना इन्द्रिय वो पहचाने ।
पाँच विषय हैं उसके होते, नाम बताओ अब क्यों सोते।।
उत्तर—रसना इन्द्रिय के पाँच विषय १ खट्टा २ मीठा ३ कड़वा ४ चरपरा ५ कषायला।
२२. ऋषभदेव पितु मात सुनन्दा , और दूसरी मात यशस्वती । पुत्र—पुत्री के नाम बताओ, किसके कौन हमें समझाओ ।। उत्तर—माता सुनन्दा की पुत्री— सुन्दरी, पुत्र बाहुबली तथा माता यशस्वती (नन्दा) की पुत्री — बाह्मी, पुत्र भरत आदि सौ ये ऋषभदेव की दो पुत्रियाँ एवं एक सौ एक पुत्र थे।
२३. छूकर के जो सबको जाने, स्पर्शन इन्द्रिय पहचाने। आठ विषय हैं उसके होते , बोलो नाम समय क्यों खोते ।। उत्तर— स्पर्शन इन्द्रिय के विषय १. हल्का २ भारी ३ कडा ४ नरम ५ रूखा ६ चिकना ७ ठण्डा ८ गरम।
२४. पार्श्व प्रभु हैं सबसे न्यारे , कर्म शत्रु भी जिनसे हारे। प्रभु की कुल आयु बतलाओ, प्रभु चरणों में शीश झुकाओ।। उत्तर— पार्श्व प्रभु की आयु १०० वर्ष ।
२५. कुष्ट रोग क्षण में है भागा , भाग्य सितारा नृप का जागा। धन्य धन्य मुनि उनकी रचना, नाम कहो जग में ना फसना।। उत्तर— रचना का नाम एकीभाव स्तोत्र, मुनिवर का नाम श्री वादिराज मुनि ।
२६. रानी चेलना ने समझाया, सम्यग्दृष्टि जिसे बनाया। उस राजा का नाम बताओ, आगे क्या होगा बतलाओ।। उत्तर—श्रेणिक राजा, जो भविष्यकाल में महापद्म नाम के प्रथम तीर्थंकर होंगे ।
२७. कुन्दकुन्द आचार्य हमारे, हम सबको हैं प्राण से प्यारे । पाँच ग्रन्थ के नाम उचारे, गुरु रचित हैं हमें सहारे ।। उत्तर— कुन्दकुन्द आचार्य द्वारा रचित पाँच ग्रन्थ — समयसार, प्रवचनसार, नियमसार,पञ्चास्तिकाय, अष्टपाहुड।
२९. सती अंजना के थे ललना, हनुरुह द्वीप में डला था पलना । हनुमान जी वे कहलाए , नाम दूसरा कौन बताए।। उत्तर— हनुमान का दूजा नाम— श्री शैल था। (पद्मपुराणजी ग्रंथानुसार)
३०. भटक—भटक कर दुख ही पाता , चउगतियों में कहीं न साता। इन गतियों के नाम बताओ, सबसे पहले इनाम पाओ।। उत्तर— चार गतियाँ— नरकगति, तिर्यंचगति, मनुष्यगति, देवगति।
३१. तीन—तीन पद के हैं धारी, जीती जिनने धरती सारी ।
तीर्थंकर का नाम बताओं, कामदेव पदवी पा जाओ।।
उत्तर—तीर्थंकर, चक्रवर्ती एवं कामदेव पद के धारी शान्तिनाथ जी, कुन्थुनाथ जी व अरहनाथ जी।
३२. मानतुंग मुनिवर ने गाया, भक्तिभाव से बंध छुडाया। उस रचना का नाम बताओ, तथा छन्द की गणना गाओ।। उत्तर— रचना का नाम— भक्तामर स्तोत्र छन्द संख्या — ४८
३३. भव—भव में जो दुख के दाता, गति आगति कर भटकाता। अष्टकर्म के नाम बताओ, कर्म काट मुक्ती पा जाओ।। उत्तर—आठ कर्मों के नाम १.ज्ञानावरण २.दर्शनावरण, ३.वेदनीय ,४. मोहनीय ५. आयु, ६. नाम ७. गोत्र ८. अन्तराय।
३४. देवों में उत्सव है छाया, जन—जन ने उल्लास मनाया। कह गये कल्याणक जिन के, पाँच कौन से तीर्थंकर के।। उत्तर— पाँच कल्याणक निम्न प्रकार के है। गर्भकल्याणक, जन्मकल्याणक, तपकल्याणक, केवलज्ञान कल्याणक, निर्वाण/ मोक्ष कल्याणक।
३५. आतम की पहचान कराती, चखें सूंघती और दिखाती। छूना सुनना और सुनाना, नाम इन्द्रियों के बतलाना।। उत्तर— पाँच इन्द्रियों के नाम— (१) स्पर्शन इन्द्रिय (त्वचा), (२) रसना इन्द्रिय (जिव्हा) (३) घ्राण (नासिका) (४) चक्षु (नेत्र) (५) कर्ण (कान) इन्द्रिय।
३६. योजन एक लाख विस्तारा, जीव द्रव्य से भरा है सारा। नाम द्वीप का कौन बताएं , बीच सुमेरु उसके पाएं।। उत्तर—एक लाख विस्तार वाला द्वीप :— जम्बूद्वीप ।
३७. नाभिराय मरुदेवी के नन्दन, हरते हैं जन जन का क्रन्दन। कितनी आयु हमें बताना, ऋषभदेव को शीश नवाना।। उत्तर— ऋषभदेव जी, कुल आयु:— ८४ लाख पूर्व वर्ष
३८. तुंगीगिरी से मोक्ष पधारे, अतिसुंदर जो काया धारे। हनुमान जी वे कहलायें, मात—पिता थे कौन बताएं।। उत्तर— हनुमान जी के माता—पिता का नाम:— पिता का नाम:— श्री पवनञ्जय, माता का नाम:— श्रीमति अन्जना।
३९. मुकुटबद्ध अन्तिम थे राजा, नाम बताओ लेलो बाजा। भद्रबाहु से दीक्षा लीनी, नित ही गुरु की भक्ति कीनी।। उत्तर—अन्तिम मुकुटबद्ध राजा दीक्षाधारी— सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य।
४०. सिद्ध पूज्य है जय भगवन्ता, जिनके ज्ञान का कोई न अंता। हमें छोड़ कर कहाँ विराजे, सत्य बताओ बजेंगे बाजे।। उत्तर—सिद्ध भगवान का निवास स्थान— ईषत प्राग्भार नाम अष्टम पृथ्वी सिद्ध ऊपर तनु वातावलय के उपरी भाग में ।
४१. गिरी सम्मेद शिखर है प्यारा, जन—जन का है तारन हारा ।
हैं तीर्थंकर कितने सारे, मोक्ष पधारे हमें सहारे।।
उत्तर—श्री आदिनाथ, श्री वासुपूज्य, श्री नेमीनाथ एवं श्री महावीर भगवान को छोड़कर शेष बीस तीर्थंकर श्री सम्मेद शिखर जी से मोक्ष पधारे।
४२. नरक निगोद हमें ले जाता, पाप काम है बुरा कहाता । पाँच पाप के नाम बताओं, पाप त्याग कर मुक्ति पाओ।। उत्तर—पाँच पाप— हिंसा, झूठ , चोरी, कुशील, परिग्रह।
४३. देवों के भी देव कहाते, सुर—नर जिनको शीश नवाते। कौन देव सच्चे कहलाते , पाप ताप से हमें बचाते।। उत्तर— जो वीतरागी, सर्वज्ञ और हितोपदेशी होते है, वे सच्चे देव कहलाते हैं।
४४. कभी मोक्ष ना वो पायेगा, मुनि बन स्वर्ग भले जायेगा। उसी जीव का नाम बताओ, अपना है पुरुषार्थ जगाओ।। उत्तर— जीव का नाम— अभव्य।
४५. देखो विद्याधर की माता, छोड़ा घर—द्वारे से नाता। आर्या जी का नाम बताएं, श्रीमति जी को शीश झुकाए।। उत्तर—आर्यिका जी का नाम— श्री १०५ समयमति जी।
४६. तीर्थंकर हैं तीर्थ के नायक, भव्य जनों को हैं सुखदायक। किस आसन से मोक्ष पधारे, तीर्थंकर चौबीस हमारे।। उत्तर— भगवान आदिनाथ भगवान वासुपूज्य एवं नेमीनाथ पद्मासन से एवं शेष २१ तीर्थंकर खड्गासन से मोक्ष पधारे।
४७. अनशन तप है मुक्तिप्रदाता, मोह त्याग वैराग्य बढ़ाता। विद्यागुरु नौ अनशन कीने, क्षेत्र बताओं बहुत है जीने।। उत्तर— श्री सिद्धक्षेत्र मुक्तागिर जी।
४८. मक्खी का वह वमन कहाता, जीव सैकड़ों है उपजाता। भूल इसे तुम कभी न खाना, नाम व्यसन का हमें बताना।। उत्तर— मधु व्यसन (शहद सेवन)।
४९. सब अचलों में जो महान है, तीर्थंकरों का मुक्तिधाम है। भाव सहित वंदन जो करता, नाम बताओ दुख का हरता।। उत्तर— श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र ।
५०. बहुत परिग्रह है जो रखता, भाई—बहन से नित प्रति लड़ता।
दिन में सोता रात में खाता, गति कौन सी है वो पाता।। उत्तर— नरकगति।