-आर्यिका चन्दनामती
श्री भरत प्रभू की आरती उतारो मिलके,
उतारो मिलके, सभी उतारो मिलके।।टेक.।।
प्रथम चक्रवर्ती इस युग के,
पुत्र प्रथम वृषभेश प्रभू के।
उनके त्याग और तप,
उनके त्याग व तप को शीश झुकाओ मिलके, शीश झुकाओ मिलके,
श्री भरत प्रभू की आरती उतारो मिलके।।१।।
मात यशस्वति धन्य हुई थीं,
तुमको पा कृतकृत्य हुई थीं।
मोक्षगामि भरतेश्वर,
मोक्षगामि भरतेश्वर को ध्याओ मिलके, आज सब ध्याओ मिलके,
श्री भरत प्रभू की आरती उतारो मिलके।।२।।
ऋषभदेव के समवसरण में,
भरत जी श्रोता प्रमुख बने थे।
निज परिवार सहित,
भरतेश ने प्रभुवर की पूजा की थी मिलके, की थी पूजा मिलके,
श्री भरत प्रभू की आरती उतारो मिलके।।३।।
चारों पुरुषार्थों को क्रम से,
पालन कर भगवान बने वे।।
केशलोंच करते,
केशलोंच करते ही केवली भगवन बने वे, उनके गुण गाओ मिलके,
श्री भरत प्रभू की आरती उतारो मिलके।।४।।
भरत आदि इक सौ इक भ्राता,
सब शिवपद पा बने जग त्राता।
तभी चन्दनामति इतिहास बनाया था सभी ने मिलके, इतिहास बनाया मिलके,
श्री भरत प्रभू की आरती उतारो मिलके।।५।।