-आर्यिका चन्दनामती
तर्ज-रोम-रोम से…….
जनम जनम में पाऊँ जिनवर दर्श तुम्हारा-हाँ दर्श तुम्हारा।
जम्बूद्वीप की रचना सा ना देखा कहीं नजारा।।जनम……
देखो तो स्वर्णाचल मेरु वैâसी छवि दरशाता।
सूर्य चंद्र की किरणों से प्राकृतिक न्हवन करवाता।
गंगा सिंधु नदियों की बहती है निर्मल धारा।।जनम…..।।१।।
अपनी सुन्दरता के कारण जम्बूद्वीप प्रसिद्ध हुआ।
श्वेत कमल का मंदिर अतिशय चमत्कारमय सिद्ध हुआ।।
खिली हुई पंखुडियों से यह मंदिर जग में न्यारा।।जनम……।।२।।
ध्यान का मंदिर हर दर्शक का मन आकर्षित करता है।
पास में जाकर कुछ क्षण ध्यान लगाने का मन करता है।।
ध्यान में खोकर देखो मिलता ज्ञान का रूप निराला।।जनम……।।३।।
गणिनी ज्ञानमती माता की ये अनमोल धरोहर है।
इसी एक शिल्पी की ये ‘चंदना’ सभी कृति सुन्दर है।।
इतिहासों में युग-युग तक चमकेगा भाग्य सितारा।।जनम…।।४।।