मध्यलोक में ढाई द्वीप में एक सौ सत्तर कर्मभूमियाँ मानी हैं। उनमें से एक सौ साठ विदेहक्षेत्र की हैं और पाँच भरतक्षेत्र तथा पांच ऐरावत क्षेत्र की, ऐसे १७० कर्मभूमि हैं। इन्हीं में से एक कर्मभूमि जम्बूद्वीप के दक्षिण में स्थित भरतक्षेत्र है जिसके आर्यखंड की कर्मभूमि में हम और आप रह रहे हैं। ‘‘इस प्रकार इन १७० कर्मभूमियों में अधिकतम १७० तीर्थंकर एक साथ हो सकते हैं और कम से कम २० होते हैं।१’’ जो कि आजकल-वर्तमान में विदेहक्षेत्र में श्रीसीमंधर, श्रीयुगमंधर आदि नाम वाले हैं, इन बीस तीर्थंकरों के नाम प्रसिद्ध हैं।